पेंट बनाने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी एशियन पेंट्स का शेयर कमजोर बाजार के बावजूद बुधवार को कारोबार के दौरान 2.5 फीसदी चढ़ गया। हालांकि कंपनी आज उस बढ़त को बरकरार नहीं रख पाई और शेयर 0.47 फीसदी की गिरावट के साथ 3,215.20 रुपये पर बंद हुआ। बुधवार की बढ़त को उन खबरों से बल मिला जिसमें कहा गया था कि कंपनी इनपुट लागत में बढ़ोतरी का भार हल्का करने के लिए 5 दिसंबर से कीमतों में 4 से 6 फीसदी की बढ़ोतरी करने जा रही है।
वित्त वर्ष 2022 की पहली छमाही के दौरान कीमतों में करीब 7 फीसदी और 12 नवंबर से प्रभावी तौर पर 9 फीसदी की मूल्य वृद्धि करने के बाद ताजा दौर के तहत अगले महीने से कीमत बढ़ाने की योजना है। इस प्रकार इस साल की गई कुल मूल्य वृद्धि करीब 20 फीसदी हो जाएगी।
एडलवाइस रिसर्च के अबनीश रॉय के नेतृत्व में विश्लेषकों का कहना है कि ताजा दौर की मूल्य वृद्धि बाजार को अचंभित करने वाली पहल है। उनके अनुसार, अन्य पेंट कंपनियों ने संकेत दिए हैं कि जिंस कीमतों में तेजी का बोझ हल्का करने के लिए मौजूदा मूल्य वृद्धि पर्याप्त है।
ब्रोकरेज का मानना है कि कंपनी की कीमत और कच्चे माल की लागत में अंतर की अब भरपाई हो जाएगी क्योंकि वित्त वर्ष 2022 की पहली छमाही के दौरान कुल मिलाकर करीब 21 फीसदी की मूल्य वृद्धि की गई थी। कीमतों में वृद्धि की मुख्य वजह कच्चे तेल की कीमतों में तेजी, आपूर्ति शृंखला में व्यवधान और किराया लागत में वृद्धि रही है। इससे दूसरी तिमाही के दौरान सकल मार्जिन पर 966 आधार अंकों का और परिचालन मुनाफा मार्जिन पर करीब 1,100 आधार अंकों का झटका लगा। परिचालन मुनाफा मार्जिन पिछली तिमाही में 12.7 फीसदी रहा था जिसे 18 से 20 फीसदी तक पहुंचने की उम्मीद है।
कंपनी ने दूसरी तिमाही में सालाना आधार पर 34 फीसदी की मात्रात्मक वृद्धि दर्ज की थी लेकिन कीमतों में अप्रत्याशित वृद्धि के मद्देनजर मात्रात्मक बिक्री/ मांग प्रभावित हो सकती है। नोमुरा रिसर्च के मिहिर पी शाह और अभिषेक माथुर का मानना है कि कम लाभप्रदता के कारण असंगठित ब्रांडों की चुनौतियां बढ़ जाएंगी जिससे बाजार की अग्रणी कंपनी को प्रतिस्पर्धी लाभ मिलेगा और उसकी बाजार हिस्सेदारी बढ़ेगी। छोटी कंपनियां कीमतों में दो अंकों की वृद्धि पहले ही कर चुकी हैं। इसके अलावा आपूर्ति शृंखला में व्यवधान का छोटी कंपनियों के परिचालन पर कहीं गंभीर प्रभाव पड़ा है। एक अन्य कारक ग्राहकों के बजट पर प्रभाव है। भारी मूल्य वृद्धि (20 फीसदी से अधिक) के कारण उपभोक्ताओं पर प्रभाव 8 से 10 फीसदी के दायरे में होगा क्योंकि उनकी कुल लागत में पेंट की लागत करीब 45 फीसदी होती है जबकि शेष लागत पेंटर की होती है।
एडलवाइस रिसर्च ने मूल्य वृद्धि का कुछ प्रभाव वॉल्यूम ग्रोथ पर पडऩे की आशंका से इनकार नहीं किया है। आईआईएफएल सिक्योरिटीज का मानना है कि इस उद्योग के लिए उच्च वॉल्यूम ग्रोथ की अवधि अब खत्म होने जा रही है क्योंकि अटकी हुई मांग को काफी हद तक पूरा किया जा चुका है। उनका कहना है कि मूल्य वृद्धि से राजस्व को बल मिलेगा लेकिन वृद्धि की रफ्तार सुस्त पड़ जाएगी।