द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान रंग-रोगन के आयात पर अस्थायी प्रतिबंध के परिणामस्वरूप घरेलू उत्पादन को मौका मिला था। इसी तरह के मौके को भांपते हुए 26 वर्षीय उद्यमी चंपकलाल एच चोकसी और उनके तीन दोस्तों – चिमनलाल एन चोकसी, सूर्यकांत सी दानी और अरविंद आर वकील ने मुंबई में एशियन पेंट्स की स्थापना की। वर्ष 1967 तक एशियन पेंट्स देश की सबसे बड़ी पेंट कंपनी बन चुकी थी, एक ऐसा स्थान जो आज तक कायम है (मार्सेलस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के संस्थापक और मुख्य निवेश अधिकारी सौरभ मुखर्जी की द अनयुजुअल बिलियनेयर्स के अंश)।
एशियन पेंट्स, जिसके पास देश के रंग-रोगन बाजार के अच्छे-खासे हिस्से (सजावटी पेंट में 40 प्रतिशत से अधिक) का नियंत्रण है, ने उद्योग में प्रतिस्पर्धी बने रहने के साथ-साथ अपनी वृद्धि बरकरार रखने के लिए वर्षों से विभिन्न रणनीतियों पर काम करते हुए ऐसा किया है।
वृद्धि के पहले चरण में यह वर्ष 1967 में देश की सबसे बड़ी रंग-रोगन कंपनी बन गई। अपने दूसरे चरण में चोकसी ने कंपनी को विकसित करने के लिए पेशेवरों को लाने का फैसला किया। उनके द्वारा की गई शुरुआती नियुक्तियों में पीएम मूर्ति थे, जो वर्ष 1971 में एशियन पेंट्स में शामिल हुए और पदोन्नत होते हुए वर्ष 2009 में प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी अधिकारी बने। चोकसी ने जब पेशेवरों को कंपनी में लाने का निर्णय किया था, तब मूर्ति उन बड़ी नियुक्तियों में शामिल थे। केबीएस आनंद, जो वर्ष 1970 के दशक में रंग-रोगन की इस दिग्गज कंपनी में शामिल हुए थे, उन्होंने वर्ष 2012 और 31 मार्च, 2020 के बीच इसकी बागडोर संभाली।
अपनी कमजोरियों में सुधार करने और वितरण में अपनी शक्ति का फायदा उठाने से लेकर उद्योग के अंतराल को खत्म करने तक, एशियन पेंट्स बाजार पूंजीकरण के हिसाब से दुनिया की दूसरी सबसे मूल्यवान रंग-रोगन कंपनी बन गई। बढ़ती अभिलाषा और घरों में रंगाई के छोटे चक्र – सात/आठ साल से घटकर चार-पांच साल तक, होने से कंपनी और सजावटी रंग-रोगन उद्योग दोनों को ही मात्रात्मक वृद्धि में मदद मिली है। दौलत कैपिटल के उपाध्यक्ष (शोध) सचिन बोबडे ने कहा कि ये वृहत कारक पिछले कुछ वर्षों में कंपनी के लिए वृद्धि के प्रमुख संचालकों में से एक रहे हैं। कच्चे घरों को पक्के घरों में तब्दील करने की सरकारी पहलों से भी कंपनी के विकास में मदद मिली है।
पिछले सात दशकों में एशियन पेंट्स ने 70,000 से अधिक पेंट डीलरों का देश का सबसे बड़ा नेटवर्क तैयार किया है, जबकि वर्ष 2013-14 (वित्त वर्ष 14) में इस नेटवर्क में 35,000 डीलर शामिल थे। वर्ष 1990 के दशक की शुरुआत में टिनटिंग मशीनों का आगमन रंग-रोगन उद्योग के लिए महत्त्वपूर्ण बदलाव रहा। हालांकि टिनटिंग मशीनों की तकनीक देश में जेनसन ऐंड निकोलसन द्वारा लाई गई थी, लेकिन एशियन पेंट्स और बर्जर पेंट्स भी शीघ्र ही इसे प्रयुक्त करने लगीं।
दौलत कैपिटल ने पिछले साल अपनी रिपोर्ट में बताया है कि फर्म के मामले में टिनटिंग मशीनें वर्ष 2019-20 (वित्त वर्ष 20) में बढ़कर 46,000 हो चुकी हैं, जबकि वित्त वर्ष 14 इनकी संख्या 27,00 थी। वित्त वर्ष 20 में 20,000 के साथ इसकी प्रतिस्पर्धी काफी पीछे थी। टिनटिंग मशीनें पेंट डीलरों को विभिन्न रंगों की पेशकश करने में मदद करती हैं।
