कर्ज में कमी लाने और सिर्फ 6 प्रमुख ब्रांडों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए अन्य ब्रांडों से निकलने और कोष जुटाने के प्रयासों के साथ अरविंद फैशंस लिमिटेड (एएफएल) ब्रांडेड अपैरल के तौर पर अपनी पहचान मजबूत बनाने पर जोर दे रही है। चाहे यह अपनी पैतृक कंपनी अरविंद लिमिटेड की इकाई के तौर पर हो, या अलग इकाई के रूप में, वह समय था जब अरविंद फैशंस कई चीजों पर जोर दे रही थी। उदाहरण के लिए, उसके पास एक दर्जन से ज्यादा ब्रांड थे, जिनमें विभिन्न श्रेणियों के निजी लेबल शामिल थे। उसने ब्रांडों और रिटेल व्यवसायों को पावर ब्रांड, इमर्जिंग ब्रांड और स्पेशियल्टी रिटेल जैसे सेगमेंटों में विभाजित किया।
जहां पावर ब्रांडों में यूएस पोलो एसोसिएशन, एरो, फ्लाइंग मशीन और टॉमी हिलफिगर शामिल थे, वहीं इमर्जिंग श्रेणी में कैल्विन क्लीन, एयरोपोस्टेल और एड हार्डी शामिल थे। अनलिमिटेड (पूर्व में मेगामार्ट), गैप और सेफोरा जैसे स्पेशियल्टी रिटेल के साथ, वह वित्त वर्ष 2019 में 1,400 स्टोर चला रही थी। अनलिमिटेड ने न्यूपोर्ट, रफऐंडटफ, एक्सकैलिबर और रगर्स जैसे अपने निजी ब्रांडों की भी बिक्री की। एक समय, उसके पास जीएएनटी, नौटिका, हैनेस, और आइजॉड जैसे ब्रांड भी थे।
वजीर एडवायजर्स के संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक हरमिंदर साहनी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘अप्रैरल ब्रांड, रिटेल और ई-कॉमर्स एक-दूसरे से अलग अलग हैं। कंपनी न सिर्फ विभिन्न ब्रांडों से जुड़ी रही है, बल्कि उसके पोर्टफोलियो में अनलिमिटेड जैसे वैल्यू रिटेल व्यवसाय भी शामिल हैं और साथ ही वह ई-कॉमर्स में अपना ओमनी-चैनल प्लेटफॉर्म एननाउ डॉटकॉम खड़ा करने की कोशिश कर रही है। सिर्फ 6 ब्रांडों पर ध्यान बनापए रखने के लिए मौजूदा कई व्यवसायों से निकलना अब उसके लिए सुरक्षित दांव है।’
भले ही, इन 6 ब्रांडों में न सिर्फ यूएस पोलो एसोसिएशन, टॉमी हिलफिगर, कैल्विन क्लीन, एरो, फ्लाइंग मशीन जैसे अपैरल शामिल है बल्कि इनमें सेफोरा जैसे ब्यूटी ब्रांड भी हैं। एएफएल का मानना है कि ये 6 ब्रांड न सिर्फ मुनाफा कमाने बल्कि भविष्य में वृद्घि के अवसरों का लाभ उठाने में भी सक्षम हैं।
अरविंद फैशंस के मुख्य कार्याधिकारी शैलेश चतुर्वेदी के अनुसार, 6 ब्रांडों में प्रत्येक की अपनी स्वयं की उपभोक्ता पूंजी है और उनमें सभी छोटे शहरों में अवसरों का लाभ उठाने की संभावना है। कंपनी इन छोटे कस्बों में अगले चरण की वृद्घि की संभावना देख रही है। चतुर्वेदी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘हमारे आंकड़े से पता चलता है कि छोटे शहरों में लोकप्रियता बढ़ी है और यही वजह है कि हम वहां सालाना 200 स्टोर खोल रहे हैं। यह संख्या पहले 100 थी। साथ ही हम 75 से ज्यादा शहरों में स्टोरों की डिजिटल उपस्थिति बना रहे हैं।’