सेल्सफोर्स इंडिया की चेयरपर्सन एवं मुख्य कार्याधिकारी अरुंधती भट्टाचार्य ने पिछले साल अप्रैल में एक चुनौतीपूर्ण समय में क्लाउड आधारित ग्राहक सेवा सॉफ्टवेयर बनाने वाली इस कंपनी की कमान संभाली थीं। उनके द्वारा कंपनी की कमान संभाले जाने के महज एक सप्ताह बाद कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा हो गई थी। सेल्सफोर्स इंडिया की कमान संभालने से पहले वह भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की पहली महिला चेयरपर्सन थीं। पिछले 17 महीनों के दौरान उन्होंने अपने घर से ही काम किया और केवल तीन मौकों पर ग्राहकों से मिलने के लिए बाहर निकलीं।
भट्टाचार्य ने एक बातचीत में कहा, ‘यह बिल्कुल कागजरहित जैसी स्थिति है जो मेरे द्वारा किए गए पहले के काम से बिल्कुल अलग है। घर पर मेरे पास फाइलों से भरा कोई सूटकेस नहीं होता है।’ उन्होंने कहा, ‘यह काफी अलग दुनिया है और मेरे लिए सीखने का एक बड़ा अनुभव है। मैं कई लोगों के साथ काम कर रही हूं जो काफी युवा और ऊर्जावान हैं।’ हालांकि सेल्सफोर्स भट्टाचार्य के नेतृत्व में भारत को सैन फ्रांसिस्को की इस कंपनी के लिए सबसे तेज रफ्तार वाला बाजार बनाने की उम्मीद कर रही है। भट्टाचार्य इस कंपनी के लिए विकास संबधी रणनीतियों को देख रही हैं। भारत में ग्राहकों, साझेदारों एवं समुदायों के साथ सेल्सफोर्स के संबंध को परिभाषित करने में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका है। भट्टाचार्य ने कहा, ‘भारत में हमने अपने सफर की महज शुरुआत की है।’ उन्हें उनके पिछले कार्यकाल के दौरान भारतीय स्टेट बैंक में डिजिटल बदलाव के दौर को रफ्तार देने का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि भारत आगे चलकर सबसे तेज रफ्तार वाला बाजार होगा।’
भट्टाचार्य ने बताया कि कोरोनावायरस वैश्विक महामारी ने उद्यमों के बीच डिजिटल बदलाव और प्रौद्योगिकी को अपनाने की रफ्तार को काफी बढ़ा दिया है। उनकी कंपनी भारत में बैंकिंग, वित्तीय सेवा एवं बीमा (बीएफएसआई) से लेकर एडुटेक, रिटेल एवं ई-कॉमर्स और सरकारी क्षेत्रों में मौजूद अवसरों को भुना रही है। इन क्षेत्रों में डिजिटल प्रौद्योगिकी को काफी अपनाया जा रहा है।
कंपनी एशिया प्रशांत क्षेत्र में सालाना 26 फीसदी की दर से वृद्धि की उम्मीद कर रही है। भट्टाचार्य द्वारा कंपनी की कमान संभालते समय उसके कर्मचारियों की संख्या 2,500 थी जो अब बढ़कर करीब 5,000 हो चुकी है।
