इस्पात बनाने के मामले में दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी आर्सेलरमित्तल को छत्तीसगढ में लौह अयस्क पसंद आ गया है।
कंपनी ने कच्चे माल की आपूर्ति बढ़ाने के लिहाज से वहां लौह अयस्क का खनन करने का फैसला किया है। उसने 10 करोड़ टन लौह अयस्क के खनन के लिए बोली भी लगा दी है।
छत्तीसगढ़ खनिज विकास निगम में वरिष्ठ प्रबंधक पी एस यादव ने बताया कि आर्सेलरमित्तल बोली लगा चुकी है।
राज्य सरकार की शर्तों के मुताबिक यदि कोई कंपनी यहां लौह अयस्क का खनन करना चाहती है, तो उसे इस्पात संयंत्र भी यहीं लगाना होगा।
आर्सेलरमित्तल समेत तमाम इस्पात कंपनियां निगम के साथ मिलकर साझा उपक्रम लगाना चाहती हैं।
यादव ने रायपुर से फोन पर बताया, ‘कंपनी के नाम पर फैसला अगले महीने कर लिया जाएगा।’ लेकिन आर्सेलरमित्तल ने इस बारे में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।
दरअसल उड़ीसा और झारखंड में आर्सेलरमित्तल की परियोजनाओं में लगातार देर हो रही है। भूमि आवंटन और खनन की अनुमति नहीं मिलने की वजह से कंपनी वहां काम शुरू नहीं कर पा रही है।
भारत में लौह अयस्क का पांचवां सबसे बड़ा भंडार है और पोस्को समेत तमाम अंतरराष्ट्रीय इस्पात दिग्गज यहां अपने संयंत्र लगाने की कोशिश में हैं।
इसी बीच जेएसडब्ल्यू स्टील लिमिटेड को झारखंड में लौह अयस्क खनन के लिए आज सरकार की मंजूरी मिल गई। राज्य में कंपनी लगभग 35,000 करोड़ रुपये की लागत से इस्पात संयंत्र लगा रही है।
इसके लिए अयस्क की खोज की अनुमति कंपनी ने एक साल पहले ही राज्य सरकार से मांगी थी। टाटा स्टील ने भी छत्तीसगढ़ में 10,000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा की लागत के साथ इस्पात संयंत्र लगाने की योजना बनाई है।
खबरों के मुताबिक आर्सेलरमित्तल छत्तसीगढ़ में 60 लाख टन सालाना क्षमता वाला इस्पात संयंत्र लगाने के लिए 13,000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा का निवेश कर सकती है।
हालांकि कंपनी के भारतीय कारोबार के प्रमुख विजय कुमार भटनागर ने इस बारे में कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि अभी कोई भी फैसला नहीं किया गया है।
