दिग्गज प्रौद्योगिकी कंपनी ऐपल इंक को भारत में आपूर्ति करने वाली तीन कंपनियों (वेंडर) ने उत्पाद आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत 30,000 प्रत्यक्ष रोजगार दे दिए हैं। सेलफोन उपकरणों के लिए पीएलआई अप्रैल, 2021 में शुरू हुई थी, जिसमें भारत सरकार ने कुल 2 लाख रोजगार सृजित करने का लक्ष्य रखा है।
सरकार के अनुमान के मुताबिक इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में एक प्रत्यक्ष रोजगार सृजित होने से परोक्ष रूप से 3 अन्य रोजगार सृजित करने में मदद मिलती है। इस प्रकार ऐपल के आपूर्तिकर्ताओं फॉक्सकॉन हॉन हाई, विसट्रॉन और पेगाट्रॉन ने करीब 1 लाख प्रत्यक्ष और परोक्ष रोजगार सृजित किए हैं।
सरकार का अनुमान है कि इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में एक प्रत्यक्ष रोजगार से तीन परोक्ष रोजगार भी तैयार हो जाते हैं यानी 1 रोजगार असल में 4 रोजगार देता है। इस हिसाब से ऐपल को आपूर्ति करने वाली फॉक्सकॉन होन हाए, विस्ट्रॉन और पेगाट्रॉन 1 लाख प्रत्यक्ष और परोक्ष रोजगार सृजित करने के करीब हैं।
तीनों कंपनियों ने जो प्रत्यक्ष रोजगार दिए हैं, वे ऐपल के रोजगार के वादे का एक चौथाई हिस्सा पूरा करते हैं। सरकार ने पीएलआई के तहत पांच साल में 2 लाख प्रत्यक्ष नई नौकरियां देने का लक्ष्य रखा है और ऐपल ने इसका 60 फीसदी हिस्सा पूरा करने यानी 1,20,000 नौकरियां देने का जिम्मा लिया है। इसका एक चौथाई हिस्सा एक साल से कुछ ज्यादा अरसे में ही पूरा हो गया है। इनमें से आधी नौकरियां फॉक्सकॉन ने अपने तमिलनाडु संयंत्र में दी हैं और बाकी विस्ट्रॉन के कर्नाटक संयंत्र तथा पेगाट्रॉन के तमिलनाडु संयंत्र में दी गई हैं।
इंडियन सेल्युलर ऐंड इलेक्ट्रॉनिक्स असोसिएशन और मोबाइल उपकरण विनिर्माताओं (पीएलआई में शामिल और उससे बाहर) ने देश में 1.25 लाख से 1.50 लाख प्रत्यक्ष रोजगार दिए हैं। मगर ये रोजगार लंबे समय में दिए गए हैं, जबकि ऐपल की आपूर्तिकर्ताओं ने महज 16 महीने में यह मुकाम हासिल कर लिया है। पीएलआई योजना की पूरी अवधि के दौरान तीनों आपूर्तिकर्ता 1.20 लाख तक नई प्रत्यक्ष नौकरियां देंगे।
सरकार पर रोजगार के नए अवसर पैदा करने का दबाव है और वह विभिन्न जांच रही है कि पीएलआई योजनाओं के तहत लगातार रोजगार देने के वादों और लक्ष्यों को कंपनियों ने कितना पूरा किया है।
मोबाइल उपकरणों के लिए पीएलआई योजना 2020 में लाई गई थी मगर कोविड महामारी के कारण इसे एक साल आगे बढ़ा दिया गया और 1 अप्रैल, 2021 को ही यह विधिवत शुरू हो सकी। ऐपल के वेंडर भारत में आईफोन के विभिन्न मॉडल बनाते हैं, जिनका बड़ा हिस्सा वैश्विक बाजारों में निर्यात कर दिया जाता है। पीएलआई योजना के पहले साल यानी वित्त वर्ष 2021 में ऐपल ने फॉक्सकॉन और विस्ट्रॉन के जरिये 11,000 करोड़ रुपये मूल्य के आईफोन का निर्यात किया था। अप्रैल, 2022 से पेगाट्रॉन ने भी घरेलू बिक्री और निर्यात के लिए आईफोन बनाना शुरू कर दिया है। विशेषज्ञों के अनुसार ऐपल देश में बिकने वाले 85 फीसदी आईफोन यहीं बनवाती है, जबकि पीएलआई आने से पहले यह आंकड़ा महज 15 फीसदी था। एक मोबाइल फोन बनाने के लिए ऐपल दूसरी कंपनियों की तुलना में 2-3 गुना अधिक कर्मचारी रखती है। मसलन, दुनिया भर में सैमसंग का सबसे बड़ा मोबाइल फोन कारखाना उत्तर प्रदेश में है मगर उसमें केवल 11,500 कर्मचारी काम करते हैं।
अनुमान है कि ऐपल वित्त वर्ष 2022-23 में अपना उत्पादन तीन गुना बढ़ाकर 45,000 करोड़ रुपये से अधिक कर सकती है और इसका बड़ा हिस्सा निर्यात किया जाएगा।
विशेषज्ञों ने कहा कि ऐपल के लिए भारत में व्यापक विस्तार की राह में तीन बड़ी चुनौतियां हैं – अपनी आपूर्ति श्रृंखला भारत में ही लाना, कुशल श्रमिकों के साथ बड़े कारखाने बनाना और चलाना तथा चीन और वियतनाम की होड़ में रहना।
