ऐपल इंक भारत के बाजार में जितनी कीमत के मोबाइल फोन बेचती है, उसमें से 70 फीसदी कीमत के फोन यहीं बन रहे हैं। सूत्रों ने यह जानकारी दी और ‘मेक इन इंडिया’ के लिए यह तगड़ा प्रोत्साहन है। दो साल पहले भारत में बन रहे फोन की हिस्सेदारी केवल 30 फीसदी थी मगर इसमें तेज बढ़ोतरी हुई है। इससे पता चलता है कि वित्त वर्ष 2021 में सरकार की उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना शुरू होने के बाद ऐपल ने अपनी रणनीति में काफी बदलाव किया है।
भारत में ऐपल के लिए फोन बनाने वाली तीन कंपनियों में से एक फॉक्समॉन इस समय ऐपल 10 और ऐपल 12 के अलावा सबसे अधिक बिक्री वाला मॉडल ऐपल 11 भी बना रही है। ऐपल के लिए ठेके पर विनिर्माण करने वाली एक अन्य कंपनी विस्ट्रॉन ऐपल एसई 2020 बनाती है। तीसरी कंपनी पेगाट्रॉन ने अभी उत्पादन शुरू नहीं किया है।
इस समय भारत में केवल ऐपल 12प्रो और प्रो मैक्स का आयात किया जा रहा है। इनकी कीमत बहुत अधिक है मगर बहुत कम तादाद में आयात होता है। ऐपल के प्रवक्ता ने इस बारे में भेजे गए सवालों का कोई जवाब नहीं दिया। संख्या के लिहाज से उत्पादन पर नजर रखने वाली टेकआर्क के संस्थापक फैसल कावूसा कहते हैं कि 2017 में भारत में बिकने वाले ऐपल के फोन में से केवल 5 फीसदी यहां बने थे। 2020 में यह आंकड़ा बढ़कर 60 फीसदी पर पहुंच गया है। भारत में ऐपल 12 का उत्पादन शुरू होने के बाद इस समय आंकड़ा 75 फीसदी हो गया है।
सूत्रों ने कहा कि इस समय ऐपल का देश में मोबाइल फोनों का मूल्य संवर्धन करीब 15 फीसदी है। ठेके पर विनिर्माण करने वाली तीनों कंपनियों ने सरकार से वादा किया है कि वे पीएलआई योजना के तहत इस आंकड़े को पांच साल में बढ़ाकर 30 फीसदी पर पहुंचा देंगी। चीन में ऐपल का मूल्य संवर्धन करीब 40-45 फीसदी है।
सूत्रों का कहना है कि वेंडरों ने सामूहिक रूप से जितने मूल्य संवर्धन का वादा किया है, उसे आसानी से हासिल किया जा सकता है क्योंकि ऐपल पहले ही अपने वेंडरों के जरिये भारतीय कंपनियों के साथ कलपुर्जों के करारों के लिए बातचीत कर रही है। इसी तरह नई स्थापित टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स के साथ गठजोड़ पर विचार-विमर्श चल रहा है। टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स तमिलनाडु में मोबाइल कलपुर्जा विनिर्माण संयंत्र लगाने के लिए 4,700 करोड़ रुपये निवेश कर रही है। विश्लेषकों का कहना है कि ऐपल ने भारत में नया मॉडल पेश करने और उसका यहां विनिर्माण शुरू करने के बीच की अवधि को कम करने की कोशिश की है। उदाहरण के लिए कंपनी ने वर्ष 2017 में भारत में ऐपल एसई का विनिर्माण शुरू किया, जबकि यह फोन कई साल पहले ही बाजार में आ चुका था। ऐपल 11 को भारत में सितंबर 2019 में पेश किया गया और इसका यहां विनिर्माण जुलाई 2020 में शुरू हुआ।
ऐपल एसई 2020 को यहां अप्रैल 2020 में उतारा गया और महज 3-4 महीनों में ही उत्पादन शुरू कर दिया गया। नया मॉडल ऐपल 12 पिछले साल अक्टूबर में पेश किया गया और महामारी तथा उससे जुड़ी चुनौतियों के बावजूद उसका यहां छह महीने से कम समय में उत्पादन शुरू कर दिया गया। उद्योग के अनुमानों, चालू रुझानों के आधार पर विशेषज्ञ कहते हैं कि भारत में कंपनी का राजस्व सितंबर में समाप्त कंपनी के वित्त वर्ष में 3 अरब डॉलर को छू जाएगा। यह भारत में पिछले वित्त वर्ष में हुए 2 अरब डॉलर से कम के राजस्व में अहम वृद्धि का संकेत है।
हालांकि इस तेज बढ़ोतरी के बावजूद भारत का ऐपल के वैश्विक राजस्व में अभी एक फीसदी से कम हिस्सा है। कंपनी का वैश्विक राजस्व करीब 330 से 340 अरब डॉलर पर पहुंचने के आसार हैं।