अमेरिका की प्राइवेट इक्विटी फर्म अपोलो ग्लोबल मैनेजमेंट, जेएसडब्ल्यू समूह को अंबुजा सीमेंट्स के लिए बोली लगाने के वास्ते 1 अरब डॉलर कर्ज देने की योजना बना रही है। अपोलो ग्लोबल की जेएसडब्ल्यू सीमेंट्स में भी अल्पांश हिस्सेदारी है।
जिंदल परिवार अंबुजा सीमेंट्स की बोली के लिए पूंजी जुटाने के मकसद से कई प्राइवेट इक्विटी फर्मों के साथ बात कर रहा है। वह अपनी प्रमुख कंपनी जेएसडब्ल्यू स्टील में 79,000 करोड़ रुपये मूल्य की अपनी 45 फीसदी हिस्सेदारी का कुछ हिस्सा भी गिरवी रख सकता है। बीएसई पर बंद भाव के हिसाब से जेएसडब्ल्यू स्टील का बाजार मूल्य 1.75 लाख करोड़ रुपये है। जिंदल के पास जेएसडब्ल्यू एनर्जी में भी 75 फीसदी हिस्सेदारी है। जेएसडब्ल्यू एनर्जी का कुल बाजार मूल्य 52,000 करोड़ रुपये है।
इस बारे में जेएसडब्ल्यू समूह के प्रवक्ता ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। अपोलो ग्लोबल का पक्ष जानने के लिए ईमेल भेजा गया था, जिसका जवाब नहीं आया। एक बैंकर के अनुसार अपोलो ग्लोबल का प्रबंधन सौदे पर बातचीत के लिए जिंदल परिवार की मदद कर रहा है। जेएसडब्ल्यू सीमेंट के निदेशक मंडल में भी अपोलो ग्लोबल के प्रतिनिधि शामिल हैं।
सौदे की जानकारी रखने वाले एक बैंकर ने कहा, ‘होल्सिम भारत में अपनी सहायक इकाई को बेच रही है और इसके लिए संभावित खरीदार बढ़-चढ़कर बोलियां लगा सकते हैं। बाजार के मौजूदा भाव के हिसाब से कंपनी का मूल्य कम से कम 76,000 करोड़ रुपये हो सकता है लेकिन कोई नहीं जानता कि अधिग्रहण का अंतिम मूल्य कितना होगा।’ उन्होंने कहा, ‘कर्ज के लिए कई इक्विटी फर्मों के साथ बातचीत चल रही है। बोलीदाता और होल्सिम प्रबंधन दोनों सौदे में कर संबंधी बाध्यताओं पर भी विचार कर रहे हैं।’ बैंकरों को उ मीद है कि अदाणी समूह द्वारा आक्रामक बोली लगाई जा सकती है क्योंकि समूह सीमेंट कारोबार में उतरने की संभावना तलाश रहा है। अदाणी समूह अंबुजा सीमेंट्स को खरीदने के लिए पश्चिम एशिया के कई सॉवरिन फंडों से भी बात कर रहा है।
अंबुजा सीमेंट्स को खरीदने वाला सीमेंट उद्योग में दूसरे स्थान पर काबिज हो सकता है। जेएसडब्ल्यू सीमेंट्स की मौजूदा उत्पादन क्षमता सालाना 1.4 करोड़ टन की है। उत्तर भारत में 15 लाख टन और पूर्वी भारत में 70 लाख टन क्षमता विस्तार पूरा होने के साथ अंबुजा की कुल क्षमता 4 करोड़ टन सालाना की हो जाएगी। इसकी सहायक इकाई एसीसी की सालाना उत्पादन क्षमता 3.3 करोड़ टन है, जिससे अगले कुछ वर्षों में कंपनी की कुल उत्पादन क्षमता 7.3 करोड़ टन हो जाएगी।
बैंकर ने कहा, ‘कोई भी अधिग्रहण के इस मौके को गंवाना नहीं चाहेगा। बिड़ला समूह भी होल्सिम के साथ बोली के लिए बात कर रहा है और देख रहा है कि सौदे की स्थिति में भारतीय प्रतिस्पद्र्घा आयोग की आपत्तियों से कैसे बचा जा सकता है।’
