वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज कहा कि एंट्रिक्स-देवास मामला देश के खिलाफ धोखाधड़ी थी और पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि इसे कैसे बढ़ावा दिया गया। वित्त मंत्री ने कहा कि देवास ने एक तकनीक के मालिकाने का दावा किया, जो थी ही नहीं और उसके आधार पर उसने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) के साथ समझौता किया। सीतारमण ने कहा, ‘धोखाधड़ी यहां से शुरू हुई।’
उन्होंने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने इस समझौते को रद्द करने में 6 साल लगाए, जो एंट्रिक्स और देवास के बीच 2005 में हुआ था, जबकि यह धोखाधड़ी देश के साथ की गई थी।
सीतारमण ने कहा, ‘कांग्रेस ने भारत सरकार के संसाधनों को खुलेआम बेचने की अनुमति दी थी।’
उच्चतम न्यायालय ने देवास मल्टीमीडिया को कारोबार समेटने की अनुमति बरकरार रखी है और आज कहा कि कि इस मामले में बड़ी धोखाधड़ी हुई है, जिसे कालीन के नीचे नहीं दबाया जा सकता। शीर्ष अदालत ने देवास मल्टीमीडिया प्राइवेट लिमिटेड की ओर से दायर अपील खारिज कर दी और कहा कि जब राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) और राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीली न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने तथ्यों के आधार पर समवर्ती निष्कर्ष दर्ज किया है, यह न्यायालय साक्ष्यों का पुनर्मूल्यांकन नहीं कर सकता।
सीतारमण ने कहा, ‘अब हम उच्चतम न्यायालय के इस आदेश को मानेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर न्याय हो सके।’
देवास के साथ जिस तरीके से समझौता किया गया, उसकी जानकारी मंत्रिमंडल को नहीं थी और जिस तरीके से भ्रामक नोट कैबिनेट के सामने प्रस्तुत किया गया, उससे पता चलता है कि कंपनी ने उसे धोखे से अंजाम दिया। एंट्रिक्स ने देवास के परिसमापन की अपील की और एनसीएलटी और एनसीएलएटी ने फर्म के परिसमापन की अनुमति दे दी। सीतारमण ने कहा कि यह मामला उच्चतम न्यायालय में लाया गया और शीर्ष न्यायालय ने देवास के परिसमापन को रोक दिया। अब देवास ने 5,625 लाख डॉलर और और 2015 के बाद से उस पर ब्याज की क्षतिपूर्ति का दावा किया है। टेलीकॉम देवास मॉरिशस और देवास इंप्लाइज मारिशशेव ने क्रमश: 933 लाख डॉलक और 1,120 लाख डॉलर का दावा किया है।
उच्चतम न्यायालय के फैसले को पढ़ते हुए सीतारमण ने कहा कि देवास ने कुल 579 करोड़ रुपये की कमाई की, लेकिन इसमें से 85 प्रतिशत राशि भारत के बाहर भेज दी गई, जिसका आंशिक भुगतान एक अमेरिकी प्रतिष्ठान को कारोबार समर्थन सेवाओं और याचिका पर आने वाले व्यय के रूप में किया गया।
सीतारमण ने कहा, ‘हम करदाताओं का धन बचाने के लिए इस मामले में एक के बाद एक जगह लड़ रहे हैं, जो नुकसान इस समझौते की वजह से हुआ है।’
कंपनी मामलों के सचिव राजेश वर्मा ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने एनसीएलटी और एनसीएलएटी के आदेश को बरकरार रखा है, इसलिए कंपनी के परिसमापन का काम शुरू किया जाएगा। इसके लिए परिसमापक की पहले ही नियुक्ति हो चुकी है।
एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने कहा कि कनाडा के न्यायालय के फैैसले से एयर इंडिया को टाटा संस को सौंपने के फैसले पर असर नहीं पड़ेगा। अधिकारी ने कहा कि यह प्रक्रिया आसानी से चल रही है और यह इकाई अब भारत सरकार की नहीं रहेगी।
उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद देवास शेयरहोल्डर्स के वरिष्ठ सलाहकार जय न्यूमैन ने कहा कि यह फैसला कोई झटका नहीं है, न आश्चर्यजनक है। न्यूमैन ने एक बयान में कहा, ‘यह महीनों पहले लिखी गई स्क्रिप्त है। मोदी सरकार अब वैश्विक न्यायालयों में अपील करेगी और एनसीएलटी के फैसले को दिखाते हुए भुगतान टालने के फर्जी तर्क देगी। अमेरिका, नीदरलैंड, कनाडा और फ्रांस की अदालतों ने पहले ही इन चालों को देखा है और यह फैसला कोई अलग नहीं है। देवास के शेयरधारक भारत सरकार की संपत्तियों को चिह्नित कराकर उनकी जब्ती की कोशिश जारी रखेंगे, जब तक कि कर्ज का भुगतान नहीं कर दिया जाता।’
केयर्न एनर्जी के साथ लंबे समय से चल रहा विवाद खत्म होने के बाद देवास मल्टीमीडिया अभी भी एयर इंडिया की संपत्तियों को जब्त कराने की कवायद में लगी है।
