दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी) के मुख्य कार्यकारी ई श्रीधरन के खिलाफ आंध्र प्रदेश सरकार ने मानहानि का मुकदमा करने का फैसला किया है।
दरअसल, आंध्र प्रदेश सरकार श्रीधरन के उस लेख से आग-बबूला है जिसमें उन्होंने हैदराबाद मेट्रो रेल लिमिटेड की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जताई है। आंध्र प्रदेश सरकार को यह नागवार गुजरा है।
आंध्र प्रदेश के वित्त मंत्री के रोसैया और निगम प्रशासन मंत्री के रंगाराव ने बताया, ‘राज्य के निगम प्रशासक और शहरी विकास के महासचिव पहले ही डॉ श्रीधरन को अपने बयान के लिए बिना किसी शर्त माफी मांगने के लिए पत्र लिख चुके हैं।
हालांकि इस पत्र के बाद भी श्रीधरन ने कोई माफी नहीं मांगी, बल्कि वह हैदराबाद मेट्रो के बारे में गलत बातें बोल रहे हैं। इसीलिए अब सरकार ने उनके खिलाफ मानहानि का दावा करने का फैसला किया है।’ राज्य सरकार के इस कदम की वजह एक अंग्रजी अखबार में छपा श्रीधरन का वह लेख है, जिसमें उन्होंने जमकर हैदराबाद मेट्रो की कार्यप्रणाली को कोसा है।
श्रीधरन ने योजना आयोग के अध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया को लिखे गए पत्र में हैदराबाद मेट्रो के बारे में नकारात्मक बातें लिखी थीं। उस समय भी राज्य सरकार ने श्रीधरन से बिना किसी शर्त माफी मांगने के लिए कहा था।
अपने लेख में श्रीधरन ने लिखा है कि आंध्र प्रदेश की सरकार ने हैदराबाद मेट्रो की प्रस्तावित लाइन में फेर बदल किया है। सरकार ने मेट्रो की लाइन को उन क्षेत्रों में आगे बढ़ा दिया है जहां निर्माण, संचालन और हस्तांतरण (बीओटी) सहयोगियों की ज्यादा जमीन है। डीएमआरसी ने सरकार की इस पहल का विरोध किया था।
श्रीधरन के अनुसार बीओटी के संचालन के लिए लगाई गई बोली में पारदर्शिता की कमी थी। इसीलिए डीएमआरसी ने हैदराबाद मेट्रो को दी जा रही सलाह सेवाएं भी बंद कर दी हैं। श्रीधरन के इस आरोप को नकारते हुए रोसैया ने कहा कि 5 किलोमीटर लंबी उस लाइन में फेरबदल करने की वजह किसी को लाभ पहुंचाना नहीं बल्कि प्रस्तावित जमीन ओसमानिया यूनिवर्सिटी की थी।
और वहां मुश्कि लें हो रही थी। रोसैया ने यह भी कहा कि डीएमआरसी ने बोली प्रक्रिया के दौरान अपनी सेवाएं वापस नहीं ली थी। बल्कि डीएमआरसी के अधिकारी पूरी प्रक्रिया के दौरान वहां पर मौजूद थे।