प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनी एमेजॉन 2019 में फ्यूचर रिटेल के साथ हुए सौदे को भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) द्वारा खारिज किए जाने के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकती है। इस मामले से अवगत लोगों ने बताया कि एमेजॉन की कानूनी टीम सीसीआई के फैसले के खिलाफ नैशनल कंपनी लॉ अपीलीय ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी), दिल्ली उच्च न्यायालय अथवा बाद में सर्वोच्च न्यायालय में अपील करने की योजना बना रही है।
प्रतिस्पर्धा आयोग ने सौदे के दायरे एवं उद्देश्य के बारे में जानबूझकर जानकारी छिपाने के मद्देनजर शुक्रवार को फ्यूचर रिटेल के साथ 2019 में हुए एमेजॉन के सौदे को निलंबित कर दिया। इसके साथ ही प्रतिस्पर्धा आयोग ने एमेजॉन पर 200 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाते हुए जुर्माने की रकम 60 दिनों के भीतर जमा कराने का आदेश दिया है।
इस मामले से अवगत एक व्यक्ति ने कहा, ‘एमेजॉन-फ्यूचर सौदा एक विवाह की तरह है जहां लड़के और लड़की की जन्म कुंडली का आदान-प्रदान हुआ था। रिकॉर्ड से साफ जाहिर होता है कि लड़का मांगलिक है। इसलिए शादी के कुछ साल बाद दूसरा परिवार आकार कहता है कि लड़के के मांगलिक दोष के बारे में उन्हें जानकारी नहीं दी गई थी। ऐसे में विवाह को जारी नहीं रखा जा सकता है।’ उन्होंने कहा, ‘इसी प्रकार जब एमेजॉन ने सीसीआई के समक्ष दस्तावेज सौंपे थे तो फ्यूचर कूपंस में कंपनी के निवेश के बारे में स्पष्ट तौर पर कहा गया था कि वह एक रणनीतिक निवेश था क्योंकि सरकार कुछ समय बाद देश के बहुब्रांड खुदरा क्षेत्र में निवेश की अनुमति दे सकती है। एमेजॉन की कानूनी टीम यह दलील दे सकती हे कि तथ्यों को गलत तरीके से पेश नहीं किया गया था और सभी जानकारियों का स्पष्ट तौर पर उल्लेख किया गया था।’
एमेजॉन के प्रवक्ता ने शुक्रवार को कहा था कि कंपनी सीसीआई के आदेश की समीक्षा कर रही है और उचित समय पर अगले कदम के बारे में निर्णय लिया जाएगा।
यह मामला अगस्त 2019 का है जब एमेजॉन ने 1,500 करोड़ रुपये के एक सौदे के तहत फ्यूचर रिटेल की मूल कंपनी फ्यूचर कूपंस में 49 फीसदी हिस्सेदारी हासिल की थी। उसके एक साल बाद अगस्त 2020 में फ्यूचर समूह ने रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ 3.4 अरब डॉलर की परिसंपत्ति बिक्री सौदा किया।
अक्टूबर 2020 में एमेजॉन ने आरआईएल के साथ सौदा करने के विरोध में फ्यूचर को कानूनी नोटिस भेजा था। उसने आरोप लगाया था कि आरआईएल के साथ फ्यूचर का 3.4 अरब डॉलर की परिसंपत्ति बिक्री सौदा एमेजॉन के साथ उसके समझौते का उल्लंघन है। उसने किशोर बियाणी के नेतृत्व वाली इस शृंखला के साथ अपने गैर-प्रतिस्पर्धी समझौते का हवाला दिया। उसी महीने सिंगापुर की मध्यस्थता अदालत ने एमेजॉन के पक्ष में अपना फैसला सुना दिया था।
नवंबर 2020 में फ्यूचर ने एमेजॉन के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख करते हुए अमेरिकी कंपनी पर आरआईएल के साथ सौदे में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया। उसके बाद से ही एमेजॉन आरआईएल के साथ फ्यूचर समूह के सौदे को रोकने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रही है।
कानून के जानकारों ने कहा कि अमेजॉन के खिलाफ सीसीआई का यह आदेश अभूतपूर्व है। ऐसा पहली बार हुआ है कि भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने किसी कंपनी के खिलाफ इस प्रकार का आदेश जारी किया है। कानून फर्म अनंतलॉ के पार्टनर राहुल गोयल ने कहा, ‘यह स्थापित कानून को दोहराता है कि सभी लेनदेन के लिए सीसीआई को खुलासा किया जाना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि एमेजॉन को इसके खिलाफ अपील करने का अधिकार है।
