गूगल पे द्वारा अपने प्लेटफॉर्म पर ग्राहकों को सावधि जमा बुक कराने की सुविधा देने के बाद अब एमेजॉन पे भी इस तरह की सुविधा शुरू करने जा रही है। एमेजॉन पे ने इसके लिए संपत्ति प्रबंधन प्लेटफॉर्म के साथ गठजोड़ किया है। कुबेर डॉट इन ने कहा कि वह एमेजॉन पे के उपयोगकर्ताओं को म्युचुअल फंडों, साविध जमा आदि में निवेश की सुविधा के लिए अपनी सेवाएं, उत्पाद और तकनीक मुहैया कराएगी।
कुबेर ने अपनी वेबसाइट पर बजाज फाइनैंस की तीन जमाओं को सूचीबद्घ किया है। साइट पर 12 से 23 महीने, 24 से 35 महीने और 36 से 60 महीने तक सावधि जमा की सुविधा उपलब्ध है। इस पर क्रमश: 5.75 फीसदी, 6.20 फीसदी और 6.60 फीसदी ब्याज दी जा रही है। न्यूनतम जमा 25,000 रुपये है।
कुबेर द्वारा जारी बयान के अनुसार एमेजॉन पे के निदेशक विकास बंसल ने कहा कि जमा सुविधा से ग्राहकों को बढ़ती पूंजी और निवेश से अपनी बड़ी जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी। कुबेर के संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी गौरव रस्तोगी ने कहा कि यह साझेदारी भारत में कुबेर के निवेश करने और संपत्ति प्रबंधन की सुविधा को लोकतांत्रिक बनाएगी।
हालांकि यह गठजोड़ बैंकिंग नियामक की नजरों में खटक सकता है क्योंकि अब दो तकनीकी दिग्गज जमा सेवा उपलब्ध कराने के काम से जुड़ गई हैं।
सूत्रों ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक इससे सहमत नहीं है कि तकनीकी दिग्गज खुदरा जमा सुविधा से जुड़ें क्योंकि यह बैंकिंग नियामक के लिए सख्त विनियमित और संवेदनशील क्षेत्र है।
पिछले हफ्ते तकनीक प्रदाता सेतु ने गूगल पे के उपयोगकर्ताओं को इक्विटास लघु वित्त बैंक के साथ सावधि जमा शुरू करने की सुविधा दी थी। आरबीआई अभी अपने कदम को लेकर कोई निर्णय नहीं कर पाया है लेकिन बैंकिग तंत्र पर भविष्य में इसके प्रभाव के आकलन पर सतर्कता से नजर रख रहा है।
एक वरिष्ठ वित्तीय विशेषज्ञ ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया, ‘यह साझेदारी कोई बड़ी बात नहीं है। लेनदेन सुरक्षित बैंकिंग चैनल के जरिये होगा, जो पूरी तरह विनियमित है। लेकिन जिन संस्थानों ने गठजरेड़ की घोषणा की है, उनकी वित्तीय स्थिति बहुत सुदृढ़ नहीं है और वे बड़ी तकनीकी फर्मों का उपयोग कर बड़ी मात्रा में जमाएं जुटा सकती हैं।’
उन्होंने कहा, ‘अगर तकनीकी प्लेटफॉर्म इस सुविधा के लिए सेवा शुल्क वसूलते हैं, तो यह मौजूदा नियमों के विरूद्घ होगा क्योंकि जमा पर कमीशन की मनाही है। इसके अलावा कई लोग यह सोच सकते हैं कि वे गूगल या एमेजॉन के पास पैसे जमा कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि तकनीकी दिग्गज द्वारा पिछले दरवाजे से मुख्य बैंकिंग क्षेत्र में प्रवेश की संभावना से आरबीआई असहज हो सकता है। हालांकि विशेषज्ञों ने कहा कि सेवा अगर वितरण और सोर्सिंग तक हो, तब इसमें चिंता की कोई बात नहीं है।
विशेषज्ञों का कहना है कि वितरण चैनल में शामिल होना गैर-कानूनी नहीं है और गूगल तथा एमेजॉन वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दे सकती हैं। लेकिन आरबीआई तकनीकी दिग्गजों को बैंकिंग क्षेत्र में प्रवेश की अनुमति नहीं देना चाहेगा क्योंकि इससे बैंकिंग तंत्र प्रभावित हो सकता है।