दुनिया भर में छाई मंदी के कारण लैंडलाइन फोन के लिए नेटवर्क मुहैया कराने वाली सबसे बड़ी कंपनी अल्काटेल -ल्यूसेंट एसए का कारोबार भी कम हो रहा है।
अपने घटते कारोबार को बढ़ाने के लिए कंपनी की नजर भारत और चीन के बाजार पर है। इन दोनों ही बाजारों में अपनी पैठ बढ़ाने के लिए कंपनी नए रास्ते ढूंढ रही है।कं पनी के मुख्य कार्यकारी बेन वरवाये ने बताया, ‘बाजार और संसाधनों के लिहाज से चीन और भारत दोनों ही बाजारों में काफी संभावनाएं मौजूद हैं। चीन और भारत में हमारा कारोबार भी तेजी से बढ़ रहा है। हम आज इन बाजारों में दो महीने पहले के मुकाबले बेहतर हालत में हैं।’
सितंबर में ही कंपनी के मुख्य कार्यकारी का पद संभालने वाले वरवाये ने पिछले सात महीनों से हो रहे लगातार घाटे को देखते हुए कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक बुलाई थी। नवंबर 2006 में अल्काटेल ने ल्यूसेंट खरीदी थी। तब से लेकर अभी तक कंपनी को 4.84 अरब यूरो का नुकसान हो चुका है।
वरवाये ने कहा कि कंपनी के मुनाफे को बरकरार रखने के लिए वह दिसंबर में नई योजना की घोषणा करेंगे। हालांकि उन्होंने इस नई रणनीति के बारे में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।
वरवाये ने बताया कि हिस्सेदारी बेचने जैसे विकल्प भी मौजूद हैं।?उन्होंने बताया कि अल्काटेल-ल्यूसेंट थेल्स एसए में अपनी 1.34 अरब यूरो की हिस्सेदारी बेच सकती है। वरवाये ने बताया, ‘थेल्स एक अच्छी कंपनी है। हमें इसके साथ कारोबार करने का काफी अच्छा अनुभव है। लेकिन अगर कोई थेल्स में हमारी हिस्सेदारी के लिए हमें अच्छी कीमत देगा तो हम यह हिस्सेदारी बेच सकते हैं। हम इस बारे में बिल्कुल साफ तौर पर कह चुके हैं कि नकद हमारी कंपनी के लिए कोई समस्या नहीं है।’
कंपनी की हालत खस्ता करने से उन्होंने साफ इनकार किया।?उन्होंने कहा कि कंपनी अच्छा कारोबार कर रही है और उनका ध्यान मुनाफा कमाने पर ही है। एरिक्सन एबी और हुवाई टेक्नोलॉजिज जैसी प्रतिद्विंद्वी कंपनियों से बेहतर कारोबार करने के लिए अल्काटेल और ल्यूसेंट का विलय हुआ था। लेकिन इस विलय के बाद बनी अल्काटेल-ल्यूसेंट की बाजार कीमत 19.3 अरब यूरो कम हुई है।