भारती एयरटेल ने आज सभी प्रीपेड पैक में औसत 20 प्रतिशत वृद्घि की घोषणा करने का ऐलान किया, जिससे करीब दो साल की अनिश्चितता के बाद उद्योग-केंद्रित कीमत वृद्घि की शुरुआत को बढ़ावा मिलने की संभावना है।
इस घटनाक्रम से अवगत सूत्रों का कहना है कि विभिन्न बैठकों में सरकार ने इस कदम के लिए दूरसंचार कंपनियों को प्रोत्साहित किया था, खासकर दूरसंचार उद्योग के लिए राहत पैकेज की घोषणा किए जाने के बाद। यह माना जा रहा है कि उद्योग आधारित दर वृद्घि की जरूरत की सार्वजनिक तौर पर घोषणा कर चुकी वीआईएल और रिलायंस जियो (जिसे इस तरह के कदम को लेकर कुछ आशंकाएं थीं) भी इस इस राह पर
आगे बढ़ेंगी।
कुछ दूरसंचार कंपनियों का कहना है कि आपको अगले 18-24 महीनों में और दर वृद्घि के लिए तैयार रहना चाहिए, क्योंकि इससे 300 रुपये का एआरपीयू लक्ष्य है, जो ऐसा मानक है जिसे लेकर सुनील मित्तल सार्वजनिक तौर पर बात कर चुके हैं।
उद्योग द्वारा पिछली बड़ी दर वृद्घि उद्योग द्वारा दिसंबर 2019 में की गई थी, और तब सभी प्रमुख कंपनियों – भारती एयरटेल, रिलायंस जियो तथा वोडाफोन आइडिया ने 20-25 प्रतिशत तक की दर वृद्घि की थी।
विश्लेषकों के अनुसार, कंपनी का करीब 80 प्रतिशत राजस्व प्रीपेड से आता है, और इस दर वृद्घि से एयरटेल का एआरपीयू वित्त वर्ष 2023 की पहली तिमाही में करीब 185 रुपये बढ़ेगा। अतिरिक्त दर वृद्घि से कंपनी का एबिटा 7,000 करोड़ रुपये (एबिटा में 13.5 प्रतिशत की वृद्घि) तक बढऩे में मदद मिलेगी।
वीआईएल के मामले में, समान वृद्घि से उसका एआरपीयू बढ़कर 127 रुपये (18 रुपये की वृद्घि) हो जाएगा। अतिरिक्त एबिटा 4,000-4,200 करोड़ रुपये होगा। सवाल यह है कि क्या यह पर्याप्त है, और क्या वीआईएल के लिए दूरसंचार पैकेज से मिलने वाला लाभ चुनौतियों से उबारने और फिर से कंपनी को पटरी पर लाने में मददगार होगा।
जियो के मामले में, कंपनी अतिरिक्त 25 प्रतिशत (9,500 रुपये-10,000 रुपये) की एबिटा वृद्घि दर्ज करेगी और उसका एआरपीयू 180 रुपये पर पहुंच जाएगा।
बोफा ग्लोबल रिसर्च का कहना है कि दर वृद्घि की मात्रा करीब 30 प्रतिशत होनी चाहिए, क्योंकि इस तरह की वृद्घि लंबे समय बाद हो रही है और ज्यादा वृद्घि की संभावना भी थी। इसके परिणामस्वरूप, उनका मानना है कि अगले 12-18 महीनों में कई और दर वृद्घि की संभावना है। लेकिन अन्य विश्लेषक भी हैं जो यह तर्क दे रहे हैं कि जियो इस तरह के कदम से दूर रह सकती है। जियो ने जियो स्मार्टफोन (गूगल के साथ मिलकर) के जरिये ग्राहक जोडऩे पर जोर दिया है।
दर वृद्घि को लेकर चर्चाएं दूरसंचार कंपनियों के रुख में अंतर की वजह से कई महीनों से अधर में लटकी हुई थीं। एयरटेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुरू में कहा था कि कंपनी इस तरह की कीमत वृद्घि में आगे नहीं आएगी, क्योंकि उसकी दरें जियो के मुकाबले पहले से ही 10-15 प्रतिशत ज्यादा हैं। उनके अनुसार, यदि जियो दरें नहीं बढ़ाती है तो, फिर से दर वृद्घि कर उन्हें बाजार भागीदारी गंवानी पड़ेगी और इससे उनका व्यवसाय प्रभावित होगा। नई घोषणा के तहत, एयरटेल ने अपने रुख को स्पष्ट कर दिया है और विश्लेषकों का हना है कि जियो भी उसके नक्शे कदम पर आगे बढ़ सकती है।
