भारती एयरटेल ने दूरसंचार विभाग से कहा है कि विभिन्न सर्किल में बैकहॉल के लिए अतिरिक्त माइक्रोवेव ऐक्सेस कैरियर के वास्ते अनुरोध पर विभाग द्वारा ध्यान न दिए जाने के कारण उसे नेटवर्क की तैनाती और अपनी सेवाओं को बेहतर करने में गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
एयरटेल का कहना है कि उसका अनुरोध करीब एक साल से लंबित है जबकि वह स्पेक्ट्रम के लिए बढ़ी हुई दरों पर भुगतान करने के लिए तैयार है।
डिजिटल संचार आयोग के चेयरमैन को लिखे अपने पत्र में दूरसंचार कंपनी ने कहा है कि इस तथ्य के बावजूद देरी हुई जो उसकी समझ के अनुसार माइक्रोवेव कैरियर की कोई कमी नहीं है और महज 30 फीसदी बैकहॉल क्षमता का उपयोग किया गया है।
निष्क्रिय पड़े अतिरिक्त माइक्रोवेव ऐक्सेस आवंटित करने में दूरसंचार विभाग की विफलता के कारण ग्राहकों को बेहतर सेवाएं नहीं मिल पाईं और सरकारी खजाने को अतिरिक्त राजस्व का नुकसान हुआ।
माइक्रोवेव ऐक्सेस (टावरों के लिए बैकहॉल) को बेहतर करने के लिए अतिरिक्त स्पेक्ट्रम मुहैया कराने की मांग बढ़ रही है क्योंकि दूरसंचार कंपनियां सबस्क्राइबर उपयोगिता विशेष तौर पर डेटा में हो रही भारी वृद्धि को पूरा करने के लिए अपने नेटवर्क का विस्तार कर रही हैं।
करीब 40 फीसदी टावर फाइबर बैकहॉल से लैस हैं। डेटा में हो रही भारी वृद्धि को संभालने के लिए माइक्रोवेव लिंक पर निर्भरता का मतलब साफ है कि अधिक बैकहॉल स्पेक्ट्रम की आवश्यकता होगी।
इस स्पेक्ट्रम की कीमत के मुद्दे पर विवाद चल रहा है क्योंकि कुछ दूरसंचार कंपनियां इसके आवंटन के लिए मौजूदा व्यवस्था के बजाय नीलामी किए जाने पर जोर दे रही है जो एक प्रशासित मूल्य पर आधारित होगी।
कुछ दूरसंचार कंपनियों ने यह भी कहा है कि दूरसंचार विभाग भले ही अतिरिक्त बैकहॉल स्पेक्ट्रम आवंटित करने में दिलचस्पी दिखा भी रहा हो लेकिन वह एक ऐसी धारा पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा रहा है जिसमें नीलामी होने की स्थिति में पिछली तारीख से भुगतान करने की बात कही गई है।
भारती एयरटेल ने अपने पत्र में छह सर्किल- असम, बिहार, जम्मू-कश्मीर, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर में अतिरिक्त माइक्रोवेव कैरियर आवंटित करने की मांग की है।
एयरटेल ने आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश पूर्व, असम, पंजाब आदि छह सर्किल में मौजूदा नौ माइक्रोवेव ऐक्सेस कैरियर में विस्तार के लिए आंशिक आवंटन की भी मांग की है। भारती एयरटेल के प्रवक्ता ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार किया।
कुछ दूरसंचार कंपनियां नीलामी पर जोर दे रही हैं। उनका कहना है कि दूरसंचार कंपनियां बैकहॉल स्पेक्ट्रम के लिए करीब 2 फीसदी एजीआर का भुगतान कर रही हैं और नीलामी में उसका आधार मूल्य हमेशा न्यूनतम होगा।
