भारती एयरटेल के मौजूदा शेयरधारक अपने राइट एंटाइटलमेंट (आरई) की बिक्री 60 से 70 रुपये के बीच करने में सक्षम हो सकते हैं। शेयर बिक्री कीमत का यह अनुमान मौजूदा बाजार भाव और राइट इश्यू कीमत पर विश्लेषकों की गणना पर आधारित है। आरई की वैल्यू में बदलाव इस पर भी निर्भर करेगा कि आगामी महीने में दूरसंचार कंपनी के शेयर का प्रदर्शन कैसा रहता है। रविवार को एयरटेल ने राइट इश्यू के जरिये 21,000 करोड़ रुपये की कोष उगाही की घोषणा की, जो पिछले साल प्रतिस्पर्धी रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) द्वारा जारी 53,125 करोड़ रुपये के राइट इश्यू की शानदार सफलता को ध्यान में रखते हुए की गई है।
सुनील मित्तल के नेतृत्व वाली कंपनी ने राइट इश्यू की कीमत 535 रुपये प्रति शेयर तय किया है, जो पिछले बंद भाव (625 रुपये) के मुकाबले 15 प्रतिशत कम है। कंपनी द्वारा अपनी पेशकश के लिए एक्स-डेट यानी शुरुआती तारीख, आरई ट्रेडिंग विंडो और आवंटन की समय-सीमा की घोषणा की जानी बाकी है। आरआईएल की तरह, इस राइट इश्यू में भाग लेने वाले शेयरधारकों को आवेदन करते समय 535 रुपये का महज 25 प्रतिशत हिस्सा चुकाना होगा। शेष 75 प्रतिशत भुगतान कंपनी द्वारा बाद में दो या उससे ज्यादा तारीख में लिया जाएगा।
कंपनी द्वारा निर्धारित राइट एंटाइटलमेंट अनुपात 14 के लिए 1 है। दूसरे शब्दों में, यह कहा जा सकता है कि एक्स-डेट पर एयरटेल के 14 शेयर वाले निवेशक राइट इश्यू कार्यक्रम के तहत एक शेयर के पात्र होंगे। शेयरधारक या तो इस राइट इश्यू में आंशिक रूप से चुका शेयरों के लिए आवेदन कर सकते हैं, या अपने आरई को विशेष ट्रेडिंग विंडो (जो राइट इश्यू के समय उपलब्ध होगी) के तहत बेच सकते हैं।
मौजूदा स्थिति को देखते हुए विश्लेषकों का कहना है कि एक आरई की कीमत 70 रुपये प्रति शेयर हो सकती है। एक विश्लेषक ने कहा कि पिछले साल निवेशकों ने आरआईएल के आरई ट्रेडिंग विंडो में भारी प्रीमियम चुकाया था। बाजार विश्लेषकों का कहना है कि किसी आंशिक चुकता राइट इश्यू की सफलता के लिए मौजूदा शेयरों में राइट इश्यू भाव से ऊपर कारोबार जरूरी होता है। विश्लेषकों का कहना है कि ऐसे निवेशक एयरटेल के शेयर बेचने को बाध्य होंगे, क्योंकि उन्हें आंशिक रूप से चुकता शेयर रखने की अनुमति नहीं है। उनका कहना है कि रिटेल के साथ साथ सक्रिय फंड प्रबंधकों को खरीदारी का अवसर मिलेगा।
आईआईएफएल-इंस्टीट्यूशनल इक्विटी में अल्टरनेटिव रिसर्च के उपाध्यक्ष श्रीराम वेलायुधन ने एक रिपोर्ट में कहा है, ‘चूंकि सूचकांक आंशिक रूप से पार्टली पेड राइट को बनाए रखने की अनुमति नहीं देते हैं, इसलिए पैसिव प्रबंधकों को रीन्यूनसिएशन फॉर्म (आरआर-फॉर्म) बेचने होंगे। आरआईएल की तरह, एयरटेल के आंशिक चुकता शेयर उनके धारकों को पोर्टफोलियो में कम वैल्यू (फुली पेड-अप शेयरों के विपरीत) पर शेयर बनाए रखने का अवसर मुहैया कराएंगे। आंशिक भुगतान वाले शेयरों पर गैर-भुगतान वैल्यू का इस्तेमाल कहीं भी किया जा सकेगा।’
एयरटेल के आंशिक भुगतान वाले शेयर सूचीबद्घ होंगे और उनमें तब तक अलग कारोबार होगा, जब तक कि कंपनी उन्हें फुली-पेड में तब्दील कराने के लिए सभी विकल्प और नियम पूरे नहीं कर लेती।