प्रमुख दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल ने सरकार को 15,519 करोड़ रुपये की अदायगी के साथ ही 2014 के अपने सभी स्पेक्ट्रम बकाये का भुगतान कर दिया है। कंपनी ने 2014 में 128.4 मेगाहट्र्ज बैंड में स्पेक्ट्रम हासिल किया था। इस पहल से कंपनी को ब्याज मद के खर्च में करीब 3,400 करोड़ रुपये की बचत करने में मदद मिलेगी।
एयरटेल ने 2014 नीलामी के तहत 19,051 करोड़ रुपये में 128.4 मेगाहट्र्ज बैंड में स्पेक्ट्रम खरीदा था। इसमें वह स्पेक्ट्रम भी शामिल है जो 2018 में दूरसंचार सेवा प्रदाता टेलीनॉर के अधिग्रहण के बाद उसे हासिल हुआ था।
कंपनी ने शुक्रवार को स्टॉक एक्सचेंज को दी जानकारी में कहा कि ये देनदारियां वित्त वर्ष 2026-27 से 2031-32 के दौरान वार्षिक किस्तों में देय था जिस पर 10 फीसदी की दर से ब्याज का भुगतान करना था जो टाली गई देनदारी एवं उधारी के लिए सर्वाधिक ब्याज दर है।
कंपनी ने कहा, ‘कंपनी का अनुमान है कि पूर्व भुगतान का नतीजा यह होगा कम से कम 3,400 करोड़ रुपये की ब्याज लागत बचत होगी।’ इसने कहा, ‘एयरटेल एक मजबूत और कुशल पूंजी संरचना की दिशा में लचीला रुख जारी रखेगी। कंपनी, दूरसंचार विभाग के इस फैसले का स्वागत करती है जिससे उद्योग को अपनी लंबित देनदारियों का भुगतान किसी भी वक्त करने की छूट मिलेगी और यह उनके एनपीवी आधार पर होगा। यह लाइसेंसधारियों को अनुमति देता है कि वे कुशलता से योजना बनाए और अपनी नकदी का उपयोग करें।’
साल 2014 की नीलामी के लिए बकाया राशि का निपटान कर दिया गया है और एयरटेल पर 2012-2021 के बीच विभिन्न नीलामी प्रक्रिया के बीच हासिल किए गए स्पेक्ट्रम के लिए 74,500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भुगतान बाकी है। 2021 में अधिग्रहीत स्पेक्ट्रम के लिए भुगतान वर्ष 2038-39 तक पूरा करने की आवश्यकता है। समायोजित सकल राजस्व बकाए में एयरटेल पहले ही 18,400 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुकी है और बाकी एजीआर बकाया 25,000 करोड़ रुपये है।
अक्टूबर में भारती एयरटेल के निदेशक मंडल ने स्पेक्ट्रम व एजीआर बकाया भुगतान पर चार साल की मोहलत का विकल्प चुनने का फैसला लिया था। केंद्र सरकार ने सितंबर में दूरसंचार क्षेत्र में सुधार को मंजूरी दी थी और इस तरह से दूरसंचार क्षेत्र को जरूरी नकदी मुहैया करा दिया। उसे उम्मीद है कि यह सुधार कंपनियों को परिचालन का विस्तार करने और नई तकनीक जैसे 5जी पर निवेश में मदद करेगा। भारती एयरटेल के चेयरमैन सुनील मित्तल ने पहले कहा था कि भुगतान टलने से उसके पास 35,000 से 40,000 करोड़ रुपये की नकदी मुक्त हो जाएगी, जिससे कंपनी को नई तकनीकों में निवेश में मदद मिलेगी।
अक्टूबर में रिलायंस जियो ने दूरसंचार विभाग को 269.2 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम के लिए 10,792 करोड़ रुपये का भुगतान किया, जिसका अधिग्रहण उसने साल 2016 में किया था। उसने हालांकि 2016 की नीलामी के लिए भुगतान कर दिया, लेकिन उसके ऊपर अभी भी 15,000-16,000 करोड़ रुपये बकाया है, जो 2014 व 2015 में अधिग्रहीत स्पेक्ट्रम से संबंधित है। बाकी कंपनियों की तरह जियो ने भी स्पेक्ट्रम बकाए के भुगतान के लिए मोहलत का विकल्प चुना है।
