टाटा समूह के स्वामित्व वाली एयरएशिया इंडिया ने नकदी संकट से निपटने के लिए पिछले छह महीने में 630 करोड़ रुपये का अल्पावधि कर्ज लिया है। इस कंपनी का विलय एयर इंडिया एक्सप्रेस के साथ करने की प्रक्रिया चल रही है।
12 जून, 2014 को पहली वाणिज्यिक उड़ान शुरू करने के समय से ही एयरएशिया इंडिया नुकसान उठा रही है। कंपनी का शुद्ध नुकसान वित्त वर्ष 22 में 42 फीसदी बढ़कर 2,178 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।
स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक ने पिछले महीने विमानन कंपनी को 200 करोड़ रुपये का अल्पावधि कर्ज दिया है। साथ ही 30 करोड़ रुपये के ओवरड्राफ्ट की सुविधा दी है। दस्तावेजों से पता चलता है कि इंडसइंड बैंक ने जून में विमानन कंपनी को 200 करोड़ रुपये का अल्पावधि कर्ज दिया। टाटा कैपिटल ने इस साल अप्रैल में कंपनी को 200 करोड़ रुपये का अल्पावधि कर्ज दिया। ये कर्ज विमानन कंपनी को आठ फीसदी ब्याज दर पर दिए गए हैं।
तीनों वित्तीय संस्थानों और एयरएशिया इंडिया ने इस मामले में बिजनेस स्टैंडर्ड के सवालों के जवाब नहीं दिए।
पिछले साल अक्टूबर में बोली जीतने के बाद टाटा समूह ने 27 जनवरी को एयर इंडिया का नियंत्रण अपने हाथ में लिया। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने 14 जून को एयरएशिया इंडिया के अधिग्रहण के एयर इंडिया के अनुरोध को मंजूर कर लिया था।
किफायती विमानन सेवा देने वाली कंपनी एयरएशिया इंडिया का एयर इंडिया एक्सप्रेस के साथ विलय की प्रक्रिया चल रही है, जो एयर इंडिया की किफायती विमानन सेवा देने वाली सहायक है, जो मुख्य रूप से भारत व खाड़ी देशों के मार्ग पर उड़ान भरती है। डीजीसीए के आंकड़ों के मुताबिक, एयरएशिया इंडिया ने देसी बाजार में 5.8 फीसदी हिस्सेदारी हासिल की। अभी यह कंपनी 28 विमानों का परिचालन करती है।
टाटा समूह व सिंगापुर एयरलाइंस के बीच 51: 49 फीसदी हिस्सेदारी वाला संयुक्त उद्यम विस्तार भी शुरुआत से ही नुकसान उठा रही है।
