देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया की बोली के लिए टाटा समूह को रकम उपलब्ध कराएगा। एसबीआई इस सौदे के लिए टाटा संस की विशेष उद्देशीय कंपनी अथवा टाटा संस के डिबेंचर की खरीदारी के लिए रकम उपलब्ध कराने के लिए तैयार है।
बैंकरों ने कहा कि टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी की क्रेडिट रेटिंग ‘एएए’ है जो एयर इंडिया के मौजूदा विमानन कारोबार के साथ मिलकर उच्च सुरक्षा मानकों को दर्शाती है। यह इसे भारतीय बाजार में दमदार खिलाड़ी बनाएगा और भारतीय विमानन बाजार में मुख्य तौर पर दो कंपनियों इंडिगो और टाटा समूह का वर्चस्व होगा। अधिकारी ने कहा कि इससे कारोबार के काफी अवसर अवसर सृजित होंगे जिसमें खुदरा श्रेणी भी शामिल है।
एसबीआई के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि टाटा समूह किस तरीके से नकदी जुटाएगा। हालांकि उनके लिए एक विकल्प बिल्कुल स्पष्ट है कि बोली लगाने वाली कंपनी डिबेंचर जैसे वित्तीय पत्र जारी कर रकम जुटा सकती है। फिलहाल भारत में कोई भी बैंक अधिग्रहण के लिए कंपनियों को सीधे तौर पर रकम (ऋण) उपलब्ध नहीं करा रहा है। एसबीआई के अधिकारी ने कहा कि टाटा समूह ने रकम जुटाने के लिए औपचारिक तौर पर फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं रखा है। टाटा संस सरकारी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा (एलआईसी) से सीधे तौर पर रकम नहीं जुटा सकती है क्योंकि वह 2017 में प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बन गई थी। टाटा संस के पास मार्च 2021 तक 912 करोड़ रुपये का नकदी भंडार मौजूद था। उसे बैंकों और वित्तीय संस्थानों से ऋण के तौर पर 40,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त नकदी जुटाने के लिए शेयरधारकों से मंजूरी पहले ही मिल चुकी है। केवल टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) में उसकी 72 फीसदी हिस्सेदारी का मूल्यांकन ही 10.18 लाख करोड़ रुपये है। इससे उसे आसानी से रकम जुटाने की क्षमता मिलती है। टीसीएस से लाभांश और पुनर्खरीद ने पिछले तीन साल के दौरान टाटा संस की झोली में सालाना 20,000 करोड़ रुपये का योगदान किया है। साथ ही इससे अतिरिक्त रकम जुटाने में भी मदद मिली है। टाटा संस के एनसीडी की बकाया रकम 27 अगस्त 2021 को 4,350 करोड़ रुपये थी।
टाटा समूह ने पिछले सप्ताह पुष्टि की थी कि उसने एयर इंडिया के लिए वित्तीय बोली लगाई है। लेकिन कंपनी के इस संबंध में विस्तृत खुलासा नहीं किया था। विमानन विश्लेषकों का कहना है कि इस बोली के लिए टाटा समूह करीब 15,000 करोड़ रुपये खर्च कर सकता है।
एयर इंडिया ने मार्च 2021 में समाप्त वित्त वर्ष के लिए 12,139 करोड़ रुपये के राजस्व पर 9,779 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज किया है। विमानन कंपनी का निजीकरण चालू कैलेंडर वर्ष के अंत तक होने की उम्मीद है और वित्तीय बोलियों के भाग्य का फैसला अगले तीन सप्ताह में हो सकता है। भारी ऋण बोझ के कारण इस विमानन कंपनी का प्रदर्शन प्रभावित हुआ और कुल संचित घाटा बढ़कर 70,000 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। मार्च 2020 तक एयर इंडिया का ऋण बोझ 62,261 करोड़ रुपये था।
टाटा समूह के अलावा स्पाइसजेट के प्रवर्तक अजय सिंह ने भी एयर इंडिया के लिए बोली लगाई है।
