एयर इंडिया कार्गो, ग्राउंड हैंडलिंग, देख-रेख और प्रशिक्षण जैसे जरूरी कामों के लिए रणनीतिक साझेदारों की तलाश कर रही है।
एयर इंडिया के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक रघु मेनन का कहना है कि इससे कंपनी के मुनाफे में वृध्दि होगी।
हैदराबाद में नागरिक उड्डयान की अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी और सम्मेलन ‘इंडिया एविएशन 2008’ के शुरू होने से पहले मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि कंपनी को उम्मीद है कि प्रदर्शनी के दौरान रणनीतिक साझेदार की कंपनी की तलाश पूरी हो जाएगी।
एयर इंडिया अपने सीटों को भरने की दर को भी मौजूदा 64 प्रतिशत से बढ़ाकर 75 प्रतिशत करने के लिए भी काम कर रही है। उन्होंने कहा, ‘हमें मालूम है कि सीटें भरने की यह दर बहुत अच्छी नहीं है।’ हवाई किरायों में जल्द ही किसी प्रकार का फेर-बदल करने की कंपनी की कोई योजना नहीं है।
उन्होंने बताया कि हालांकि विमानन कंपनियों को राहत मिल सकती है। लेकिन उन्होंने कहा कि राहत तभी मिल सकती है, जब कच्चे तेल की कीमत 80 डॉलर प्रति बैरल के आसपास पहुंच जाएं। विमानन कपंनी ने 44,000 करोड़ रुपये कीमत वाले 111 विमानों का ऑर्डर दिया हुआ है।
इनमें से 38 विमान कंपनी को सौंपे जा चुके हैं और एक अन्य विमान भी 16 अक्टूबर तक कंपनी के बेड़े में शामिल हो जाएगी। यह संयोग की ही बात है कि इसी दिन इंडिया एविएशन का उद्धाटन भी होना है। हालांकि सभी विमान 2012 की शुरुआत तक कंपनी को मिल जाने थे, लेकिन बोइंग में हाल ही में हुई हड़ताल के कारण विमान कंपनी के बेड़े में 1 साल देरी से शामिल होंगे।
उन्होंने कहा कि नई बनाई गई कंपनी में कोई छंटनी नहीं की गई है, लेकिन साथ ही पायलट और एयर होस्टेस के अलावा दूसरे किसी क्षेत्र में कोई नई नियुक्ति नहीं की गई है। मौजूदा समय में कंपनी में लगभग 32,000 कर्मचारी काम करते हैं।
उन्होंने कहा, ‘एयर इंडिया के साथ इंडियन एयरलाइंस का विलय अगले साल तक 75 प्रतिशत पूरा हो जाएगा, लेकिन मानव संसाधन को मिलाना मुख्य चुनौती है।’