भारतीय परिसंपत्ति प्रबंधन उद्योग में पिछले कुछ वर्षों के दौरान कई विदेशी कंपनियां बाहर निकल चुकी हैं। हालांकि औसत प्रबंधन अधीन परिसंपत्तियों (एएयूएम) के संदर्भ में 23वें पायदान पर काबिज एचएसबीसी ऐसेट मैनेजमेंट इंडिया ने एलऐंडटी म्युचुअल फंड की खरीदारी के बाद अपना दबदबा मजबूत बनाने की योजना बनाई है।
गुरुवार को एचएसबीसी ऐसेट मैनेजमेंट इंडिया ने करीब 3,188 करोड़ रुपये में 12वें सबसे बड़े फंड हाउस एलऐंडटी एमएफ के अधिग्रहण की घोषणा की। बाजार कारोबारियों के अनुसार, यह 38 लाख करोड़ रुपये के भारतीय एमएफ उद्योग में सबसे बड़े सौदों में से एक है।
एचएसबीसी ऐसेट मैनेजमेंट इंडिया के मुख्य कार्याधिकारी रवि मेनन का कहना है, ‘यह भारत पर देश में परिसंपत्ति प्रबंधन व्यवसाय पर हमारे समूह के नजरिये का प्रमाण है। एमएफ उद्योग आकार और अवसरों के मामले में यह हमारे लिए उपयुक्त सौदा था, क्योंकि एलऐंडटी एमएफ की परिसंपत्तियां करीब 80,000 करोड़ रुपये की हैं।’
भारतीय परिसंपत्ति प्रबंधन उद्योग पर अभी भी उन कुछ प्रमुख कंपनियों का दबदबा बना हुआ है, जिनका पूरे देश में मजबूत वितरण नेटवर्क है। अभी भी कुल परिसंपत्तियों में से 82 प्रतिशत हिस्सा इस उद्योग की शीर्ष 10 कंपनियों द्वारा नियंत्रित है।
फिडेलिटी, मॉर्गन स्टैनली, पाइनब्रिज, आईएनजी और जेपी मॉर्गन जैसे कई विदेशी फंड हाउस भी पिछले कुछ वर्षों में भारत से अपना कारोबार समेट चुके हैं।
उद्योग के कारोबारियों का कहना है कि भारत से बाहर जा चुकी कई कंपनियों को अपना परिसंपत्ति आधार बढ़ाने में समस्या हुई थी। हालांकि मिरई एमएफ और फ्रैंकलिन टेम्पलटन एमएफ इसके अपवाद हैं।
मेनन ने कहा, ‘एचएसबीसी समूह की 150 वर्षों से भारत में उपस्थिति है और हम इस देश को अच्छी तरह से जानते हैं। नियामकीय मंजूरियों के बाद विलय वाली संयुक्त इकाई इस उद्योग में आगामी शीर्ष 10 कंपनियों में प्रमुख होगी। हमारा लक्ष्य भविष्य में काफी बड़ा बनना है।’
वैल्यू रिसर्च के आंकड़े से पता चलता है कि एलऐंडटी एमएफ की इक्विटी परिसंपत्तियां नवंबर के अंत तक करीब 33,500 करोड़ रुपये पर थीं। इस फंड ने मजबूत प्रदर्शन किया है। हालांकि उद्योग के कारोबारियों का कहना है कि एचएसबीसी एमएफ को इक्विटी के संदर्भ में कम परिसंपत्तियों की वजह से इस सौदे से आकार का लाभ मिलेगा।
मेनन ने कहा, ‘हमारा मकसद तेजी से आगे बढऩा और इस व्यवसाय में अग्रणी बनना है। इसके लिए हमें उत्पाद पोर्टफोलियो बढ़ाना होगा और मौजूदा फंडों का प्रदर्शन मजबूत बनाना होगा।’
