वित्तीय सहायताएं मुहैया कराने वाली हॉलैंड की कंपनी एगॉन और रेलिगेयर एंटरप्राइजेज की साझे उपक्रम वाली म्युचुअल फंड कंपनी टूटने के कगार पर है।
रेलिगेयर रैनबैक्सी के पूर्व प्रमोटर मालविंदर सिंह और शिविंदर सिंह की कंपनी है। इस उपक्रम में दोनों की बराबर हिस्सेदारी है। इस मामले से जुड़े सूत्रों का कहना है कि रेलिगेयर कैपिटल मार्केट की ओर से ब्रिटेन की ब्रोकरेज फर्म हिचेन्स हैरिसन के हाल ही में अधिग्रहण के बाद दोनों साझेदारों ने अलग होने का फैसला लिया है, क्योंकि इस नए अधिग्रहण का असर एगॉन के यूरोप में मौजूदा कारोबार पर भी पड़ सकता है।
माना जा रहा है कि हाल में बुरे दौर से गुजर रही परिसंपत्ति प्रबंधन कारोबार की कंपनी लोटस इंडिया म्युचुअल फंड के अधिग्रहण की रेलिगेयर एगॉन की कोशिश का भी इस अलगाव में योगदान रहा है। इस सौदे के लिए रेलिगेयर ने अधिक जोर लगाया था।
सूत्रों का कहना है कि एगॉन को लोटस के अधिग्रहण के साथ ऐसा लगा कि इसके बाद भारत में ऑफशोर फंड लॉन्च करने की उसकी योजना पर पानी फिर गया, क्योंकि लोटस इंडिया एसेट मैनेजमेंट कंपनी के प्रमोटर फुलर्टन पहले ही भारत में 85 करोड़ रुपये वाला ऑफशोर फंड फुलर्टन साब्रे लोटस इंडिया फंड के नाम से चला रहे थे।
वर्ष 2006 में रेलिगेयर और एगॉन ने भारत में परिसंपत्ति प्रबंधन कारोबार के लिए संयुक्त उपक्रम बनाया था। लगभग एक महीने पहले भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी को लाइसेंस दे दिया था। मौजूदा समय में रेलिगेयर एगॉन अपने तीन फंडों, जिनमें इक्विटी फंड, लिक्विड फंड और डेट फंड के लिए सेबी की मंजूरी का इंतजार कर रही है।
लोटस के अधिग्रहण को अभी नियामक की मंजूरी का इंतजार है। इसे हरी झंडी मिलने के बाद रेलिगेयर एगॉन की पहुंच 6 इक्विटी फंडों तक पहुंच जाएगी और वह 5,458 करोड़ रुपये के परिसंपत्ति का प्रबंधन करने डेट फंड उसके पास आ जाएंगे।
जहां ये दो साझेदार अलग होने पर सेबी की मंजूरी के इंतजार में हैं, वहीं इसकी आधिकारिक घोषणा जल्द ही सुनने को मिलेगी। रेलिगेयर के प्रवक्ता से संपर्क करने पर उन्होंने कहा, ‘हम मीडिया में आ रही अटकलों पर टिप्पणी नहीं करना चाहते। रेलिगेयर और एगॉन के आपस में अच्छे संबंध हैं, जो पारदर्शिता, आपसी विश्वास पर आधारित हैं।’
एगॉन को ई-मेल के जरिये बुधवार को भेजे गए सवालों के जवाब में कंपनी के उपाध्यक्ष (जनसंपर्क) ग्रेग टकर का कहना है, ‘आपकी पूछताछ के लिए आपका शुक्रिया करते हैं। हम आपके सवालों पर कल बात करेंगे।’ अपने इस ई-मेल के बाद आज तक उनका दोबारा कोई जवाब नहीं मिल पाया था।
अब ऐसी स्थितियों में एगॉन रेलिगेयर लाइफ इंश्योरेंस का भविष्य स्पष्ट नहीं है। हालांकि इसमें रेलिगेयर एंटरप्राइजेस की 44 प्रतिशत बेनेट कोलमैन की 30 प्रतिशत और एगॉन की बची हुई 26 प्रतिशत हिस्सेदारी है।