दुनिया के सभी देश अब वैश्विक आर्थिक संकट से निपटने के लिए राहत उपाय करने पर सहमत हो गए हैं। इसके साथ ही वे बैंकों के लिए बोझ बन चुकी संपत्तियों को निकालने पर भी सहमत हो चुके हैं।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के प्रमुख डॉमिनिक स्ट्रास कान के मुताबिक, राहत पैकेजों को लेकर अब तक उठाए गए कदमों से सभी खुश हैं। कान ने कहा कि अब यह साफ हो चुका है कि संकट से निपटने के उपायों पर कोई बड़ा मतभेद नहीं है।
1930 के दशक की महामंदी के बाद का सबसे बड़ा आर्थिक संकट 2008 में जैसे-जैसे फैलता गया, इस बात को लेकर मतभेद उभरने लगे कि अपनी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कर्ज के बोझ से दबने के जोखिम के बावजूद सरकारों को कितना धन खर्च करना चाहिए।
अमेरिका चाहता था कि जितनी भी जरूरत हो सरकार को उतना धन खर्च करना चाहिए। वहीं यूरोप का कहना था कि पहले हमें पूर्व में किए गए उपायों का असर देखना चाहिए।
