जून में घोषित अदाणी ग्रीन एनर्जी की रिकॉर्ड छह अरब डॉलर वाली सौर परियोजना के पास कोई निश्चित ग्राहक नहीं है। भारत की सौर ऊर्जा क्षेत्र की मुख्य एजेंसी के साथ उसके सौदे से यह जानकारी मिलती है और इससे कंपनी को बड़ा आर्थिक जोखिम उठाना पड़ सकता है।
अरबपति गौतम अदाणी द्वारा संचालित कंपनी के शेयरों में इस आठ गीगावाट वाले बहु-संयंत्र सौदे पर हस्ताक्षर करने के बाद से तीन गुना इजाफा हो चुका है। इस सौदे को अदाणी ने अपनी तरह का अब तक का सबसे बड़ा और भारत के लिए मील का पत्थर कहा था।
हालांकि अदाणी ग्रीन और सोलर एनर्जी कॉर्प ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसईसीआई) के बीच हुए समझौते के पहले नहीं बताए गए विवरण से इस बात का खुलासा होता है कि अगर एसईसीआई खरीदार खोजने में विफल हो जाती है, तो इस परियोजना को समर्थन देने के लिए एजेंसी के पास कोई ‘कानूनी या आर्थिक दायित्व’ नहीं रहता है।
यह एसईसीआई की पहली ऐसी प्रमुख परियोजना होगी जो सरकार की बिजली खरीद समझौते (पीपीए) की बिना गारंटी के है जिसे विश्लेषक भारत के नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के निर्माण में महत्त्वपूर्ण चीज मानते हैं। जब एसईसीआई ने जून 2019 में परियोजना के लिए निविदा जारी की थी, तो उसने कहा था कि निश्चित रूप से एक पीपीए होगा, लेकिन इसने एक साल बाद हस्ताक्षरित सौदे में खरीद की गारंटी देने वाली शर्त वापस ले ली।
रॉयटर्स द्वारा देखे गए समझौते के अनुसार इस तरह की (बिना बिकी) मात्रा, विनिर्माण केंद्रों की मात्रा समेत, के संबंध में एसईसीआई के प्रति कोई कानूनी या वित्तीय निहितार्थ नहीं होगा। अदाणी ग्रीन ने कहा है कि वर्ष 2022 तक दो गीगावॉट उत्पन्न करने की क्षमता चालू हो जाएगी, जबकि समझौते के अनुसार बाकी क्षमता में 2025 तक वार्षिक रूप से दो गीगावॉट का विस्तार कर दिया जाएगा।
इस परियोजना के लिए अब तक कोई खरीदार नहीं आया है और यह बात स्पष्ट नहीं है कि एसईसीआई कब खरीदार खोज पाएगी। यह एक ऐसी प्रक्रिया होती है जिसमें आम तौर पर महीनों लग जाते हैं।
