भारत में वेतन के ताजा रुझान पर वैश्विक पेशेवर सेवा कंपनी एओन के ताजा सर्वेक्षण में शामिल 87 फीसदी कंपनियों ने 2021 में वेतन बढ़ोतरी की योजना बनाई है। इससे महामारी से प्रभावित भारतीय कंपनियों के कर्मचारियों के चेहरों पर खुशी आ सकती है।
इस तरह वर्ष 2021 में वेतन में कम से कम कुछ प्रतिशत बढ़ोतरी की योजना बनाने वाली कंपनियों का प्रतिशत वर्ष 2020 की तुलना में बढ़ा है। पिछले साल यह प्रतिशत 71 था। इस साल कोविड-19 महामारी का सभी क्षेत्रों में वेतन बढ़ोतरी पर असर पड़ा है। वेतन में बढ़ोतरी का स्तर भी वर्ष 2021 में सुधरने की उम्मीद है। जिन 87 फीसदी कंपनियों ने वेतन बढ़ोतरी की योजना बनाई है, उनमें से करीब 61 फीसदी के पांच से 10 फीसदी वेतन बढ़ाने का अनुमान है। वर्ष 2020 में केवल 45 फीसदी कंपनियों ने ही इतनी वेतन वृद्धि की संभावना जताई थी।
इसके नतीजतन 2021 में औसत वेतन बढ़ोतरी 7.3 फीसदी रहने का अनुमान है। 2020 में वास्तविक औसत वेतन बढ़ोतरी 6.1 फीसदी रही। एओन वेतन रुझान सर्वेक्षण में 20 से अधिक उद्योगों की 1,050 कंपनियों के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है।
एओन के निदेशक (भारत का प्रदर्शन और पुरस्कार समाधान पद्धति) नवनीत रतन ने कहा कि सर्वेक्षण में अनुमान है कि आईटी, दवा एवं जीवन विज्ञान और आईटीईएस सबसे अधिक वेतन बढ़ोतरी के बारे में विचार कर रही हैं। वहीं आतिथ्य क्षेत्र, रियल एस्टेट, बुनियादी ढांचा और इंजीनियरिंग सेवाएं सबसे कम वेतन बढ़ोतरी कर सकती हैं। ये क्षेत्र कोविड-19 से सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं और इनमें सुधार भी अन्य क्षेत्रों की तुलना में सुस्त है।
साफ तौर पर इस सर्वेक्षण के इतिहास में 2020 में महज 6.1 फीसदी औसत वेतन बढ़ोतरी सबसे कम है। यह 2008 में वैश्विक वित्तीय संकट के बाद की औसत वेतन वृद्धि 6.3 फीसदी से भी कम है। रतन ने कहा कि 2020 में 6.1 फीसदी औसत बढ़ोतरी के मुकाबले 2021 में 7.3 फीसदी अनुमानित बढ़ोतरी की वजह यह है कि कुछेक संगठन 2020 में कोई वेतन वृद्धि नहीं करने जा रहे हैं। दूसरी तरफ सर्वेक्षण में शामिल कंपनियों में से दो-तिहाई ने 2021 में 2020 के बराबर या अधिक बढ़ोतरी की योजना बनाई है। इस सर्वेक्षण में अनुमान जताया गया है कि करीब 26.7 फीसदी कंपनियां वर्ष 2021 में पिछले साल की तुलना में अधिक वेतन बढ़ोतरी करेेंगी। वहीं 39.8 फीसदी 2020 जितना ही वेतन बढ़ाने की योजना बना रही हैं, जबकि 33.5 फीसदी ने वर्ष 2021 में वर्ष 2020 से कम वेतन वृद्धि की योजना बनाई है।
रतन के मुताबिक बीते वर्षों में बाहरी कारकों के आधार पर वेतन बढ़ोतरी के फैसले लिए जाते थे, लेकिन इससे इतर कोविड के बाद संगठन बेंचमार्क के लिए आंतरिक दृष्टिकोण अपना रहे हैं। एओन में पार्टनर और कंपनी के भारत में प्रदर्शन एवं पुरस्कार समाधान पद्धति के सीईओ नितिन सेठी ने कहा कि वर्ष 2020 एक असामान्य साल है। उन्होंने कहा कि कारोबारी अगुआ कर्मचारियों एवं ग्राहकों पर निवेश को शेयरधारकों के प्रतिफल से अधिक तरजीह दे रहे हैं। सेठी ने कहा, ‘भारत में कोविड-19 महामारी का असर अधिक पड़ा है और इसका अर्थव्यवस्था भी गहरा प्रभाव पड़ा है। इसके बावजूद भारत में संगठनों ने अपना जुझारूपन और प्रतिभाओं को लेकर परिपक्व नजरिया दिखाया है।’ कोविड-19 का विभिन्न क्षेत्रों और संगठनों पर अलग-अलग असर पड़ा है और विभिन्न उद्योगों की वेतन वृद्धि में भी अंतर रहा है। रतन ने कहा, ‘सबसे अधिक और सबसे कम वेतन बढ़ोतरी करने वाली कंपनियों के बीच अंतर 7.2 फीसदी है, जो वर्ष 2019 में महज 2.4 फीसदी था।’ महामारी से पहले भी वेतन तय करने का एक प्रमुख आधार कर्मचारी की तैनाती की जगह रही है। लेकिन दूर बैठकर काम करने वाले कर्मचारियों की तादाद बढऩे से संगठन एचआरए जैसे वेतन खंडों में बदलाव करके वेतन को तर्कसंगत बना सकते हैं। दूसरी तरह कर्मचारी लाभों के लिए बजट कोविड से पहले के मुकाबले कम है क्योंकि कंपनी आवास और कार लीज जैसे कुछ लाभों का कम इस्तेमाल हो रहा है। सेठी और रतन के मुताबिक अन्य लाभों की लागत कम हो गई। फिर भी संगठन अब लाभों को अलग तरीके से देख रहे हैं। आगे संगठन इस बजट का इस्तेमाल विशेष कौशल और भूमिकाओं के लिए प्रतिभाओं की नियुक्तियों पर करने के बारे में विचार कर रहे हैं। कंपनियां अपने लिए उपयोगी कौशलों के लिए ज्यादा पैसा चुकाने को तैयार हैं।
नियुक्तियों के स्तर पर भारतीय कंपनियों का एक हिस्सा पहले ही भर्तियां कर रहा है। ई-कॉमर्स और शुरुआती चरण की कंपनियों में भर्ती की रफ्तार तेज है।
