अग्रिम कर की दूसरी किस्त से पहले राजस्व विभाग उन कंपनियों की जांच करने में जुटा है जिन्होंने अपने स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) में नकारात्मक वृद्घि दर्ज की है जबकि अग्रिम कर भुगतानों से उनकी स्वस्थ वृद्घि के संकेत मिले थे। सूत्रों के मुताबिक कर अधिकारियों की नजर में कम से कम 60 से 65 छोटे से मध्यम आकार की कंपनियों से बेमेल टीडीएस भुगतान का मामला आया है।अधिकारियों ने कहा कि यदि उच्च अग्रिम कर भुगतान को संकेत मानें तो कारोबार और लाभों में वृद्घि को देखते हुए टीटीएस में इजाफा नहीं होना सामान्य बात नहीं है।
अधिकारियों ने कहा, ‘कहीं न कहीं टीडीएस तंत्र से ही समझौता किया जा रहा है। इसकी अच्छी तरह से जांच किए जाने की जरूरत है।’ अधिकारी ने कहा, ‘हम ऐसे मामलों की जांच कर रहे हैं जिसमें बड़े पैमाने पर टीडीएस की कटौती नहीं की गई है, साथ ही इसके दायरे में ऐसी कंपनियां भी आएंगी जिन्होंने टीडीएस काटने के बावजूद इसे जमा नहीं कराया है। टीडीएस में कमी आने का मतलब है कि बही खाता से बाहर नकद खर्च किया जा रहा है।’
ऐसे मामलों की गहन जांच केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की ओर से जारी कार्ययोजना के मुताबिक है। पूरे साल के लिए कार्ययोजना को इसी महीने जारी किया गया था। इसमें बेमेल भुगतानों पर चिंता जताई गई थी और कर अधिकारियों को ऐसे मामलों को समयबद्घ तरीके से सर्वेक्षण और शोध के लिए संभावित मामलों के तौर पर लेने के लिए कहा गया था।
चालू वित्त वर्ष के लिए अपनी कार्यायोजना में सीबीडीटी ने कहा है कि शीर्ष 100 कटौतीकर्ताओं (पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में उनकी ओर से की गई कर कटौती के आधार पर) की ओर से दाखिल किए जाने वाले टीडीएस वक्तव्यों पर प्रत्येक आकलन अधिकारी की नजर रहेगी और कम टीडीएस के मामलों को सत्यापित किया जाएगा। सीबीडीटी ने टीडीएस चूक में प्रत्येक आकलन अधिकारी द्वारा निश्चित तौर पर 20 इलेक्ट्रॉनिक पूछताछ करने का लक्ष्य तय किया है। इसने आगे की प्रवर्तन कार्रवाई के लिए प्रमुख मानकों को सूचीबद्घ किया।
इसमें एक ही तरह के कारोबार में अन्य कटौतीकर्ताओं के मुकाबले टीडीएस भुगतान में भारी विरोधाभास के रुझान वाले मामले, पहले के वित्त वर्ष के मुकाबले भुगतान में नकारात्मक रुझान दर्शाने वाले मामले, अग्रिम कर भुगतान में स्वस्थ वृद्घि के बावजूद टीडीएस भुगतान में नकारात्मक वृद्घि, ऐसे मामले जिनमें बार बार सुधार किए गए हैं, और ऐसे मामले जिनमें कटौतीकर्ता के नाम को एक नियमित आधार पर बदला गया है, शामिल हैं।
इनके अलावा सीबीडीटी ने रेखांकित किया है कि अंतरराष्टï्रीय कराधार शुल्कों में संग्रह का एक बड़ा हिस्सा टीडीएस से आता है अर्थात गैर निवासियों को किए जाने वाले प्रेषण से करों को रोका जाता है। इसमें कहा गया है कि टीडीएस के जरिये राजस्व बढ़ाने की रणनीति के लिए प्रवर्तन, क्षमता निर्माण (बाहरी और आंतरिक) से संबंधित सक्रिय उपायों के मिश्रण और उपलब्ध सूचना का लाभ उठाने की जरूरत है।