क्लाउडटेल को सरकार से 54.5 करोड़ रुपये का कर नोटिस मिला है। सूत्रों ने सोमवार को इस बात की जानकारी दी। क्लाउडटेल ई-कॉमर्स कंपनी एमेजॉन और इन्फोसिस के सह-संस्थापक एन आर एन मूर्ति की केटामरान वेंचर्स का संयुक्त उद्यम है।
समाचार माध्यम में आ रही खबरों के अनुसार डायरेक्टरेट जनरल ऑफ गुड्स ऐंड सर्विस टैक्स इंटेलीजेंस ने कंपनी को सेवा कर मामलों से जुड़े ब्याज एवं जुर्माने के साथ 54.5 करोड़ रुपये का कर नोटिस भेजा है। हालांकि खबरों में कर विवाद के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं दी गई है।
जब इस बारे में क्लाउडटेल से संपर्क साधा गया तो कंपनी ने अपने बयान में कहा, ‘क्लाउडटेल ने सेवा कर मांग पर अपनी आपत्ति जताई है और अब यह मामला न्यायाधीन है। कंपनी वर्ष 2019 से अपनी सालाना रिपोर्ट में भारतीय लेखा मानकों के अनुसार विचाराधीन रकम को एक भविष्य में भुगतान की जाने वाली संभावित रकम के तौर पर दर्शाती रही है। चूंकि, यह मामला अब विचाराधीन है इसलिए इस पर अधिक कुछ कहना मुनासिब नहीं होगा।’ कंपनी ने दोहराया कि वह भारतीय कानूनों का पूरी तरह पालन कर रही है।
खबरों के अनुसार वित्त वर्ष 2019-2020 में कंपनी ने 11,413 करोड़ रु पये राजस्व अर्जित किया था, जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 27.76 प्रतिशत अधिक रहा। वित्त वर्ष 2020 में कंपनी का शुद्ध मुनाफा 67.5 करोड़ रुपये रहा था।
इस बारे में एमेजॉन को भी ई-मेल भेजा गया लेकिन उसने समाचार लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं दिया था। भारत में कई कारोबारी संघों ने क्लाउडटेल में एमेजॉन की हिस्सेदारी पर सवाल उठाए हैं।
यह कंपनी एमेजॉन इंडिया की सबसे बड़ी विक्रेताओं में एक हैं। क्लाउडटेल पर प्रियोन बिजनेस सर्विसेस का नियंत्रण है। प्रियोन बिजनेस सर्विसेस एमेजॉन और इन्फोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति के कै टामारन वेंचर्स के बीच का संयुक्त उद्यम है।
कैटामारन वेंचर्स ने वर्ष 2019 में प्रियोन में अपनी हिस्सेदारी 51 प्रतिशत से बढ़ाकर 76 प्रतिशत कर दी थी। इसके बाद एमेजॉन की हिस्सेदारी कंपनी में कम होकर करीब 24 प्रतिशत रह गई। कारोबारी संगठनों कैट और डीवीएम दोनों ने आरोप लगाए हैं कि एमेजॉन का क्लाउडटेल से सीधा संबंध है। इन संगठनों के अनुसार एमेजॉन एक दूसरी विके्र ता एपारियो के साथ क्लाउडटेल को तरजीह दे रही है। एमेजॉन ने 2014 से 2017 के बीच इन कंपनियों से सौदे किए थे। हालांकि संशोधित ई-कॉमर्स कानून के अनुसार प्रत्यक्ष खुदरा आपूर्तिकर्ताओं में ई-कॉमर्स कंपनियां में हिस्सेदारी नहीं रख सकती हैं।
इस बीच, 11 जून को कर्नाटक उच्च न्यायालय ने भारतीय प्रतिस्पद्र्धा आयोग (सीसीआई) जांच के खिलाफ एमेजॉन और फ्लिपकार्ट की याचिकाएं रद्द कर दी थी। इन दोनों कंपनियों पर प्रतिस्पद्र्धा कानूनों के उल्लंघन के आरोप लगाए गए हैं। दोनों कंपनियोंं ने सीसीआई जांच को प्रतिस्पद्र्घा नियमोंं का उल्लंघन बताया था।
