जेट-किंगफिशर गठजोड़ के खुलासे का आखिरकार दिन आ ही गया।
सोमवार को विमान उद्योग की दिग्गज कंपनियों ने गठजोड़ की घोषणा की थी, आज उन्होंने यहां घोषणा की कि वे 15 छोटे विमानों को इस साल के अंत या 2009 में उनकी लीज अवधि समाप्त होने के साथ ही वापस कर देंगे। इन दोनों विमानन कंपनियों को मिलाकर इनके पास कुल 189 विमान हैं, जिनमें ए-320, बोइंग 737, बोइंग 747 और ए-330 आदि शामिल हैं। उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि बेड़े में इन विमानों के हटने से रोजाना लगभग 75 उड़ानें कम हो जाएंगी, जो दोनों की रोजाना घरेलू उड़ानों का लगभग 8 प्रतिशत है।
किंगफिशर के अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘हम किसी बड़े विमान, जिनका इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय परिचालन में इस्तेमाल होता है, को वापस नहीं भेज रहे हैं, हम सिर्फ लीज लिए गए 15 छोटे विमानों को वापस भेज रहे हैं। इनमें किंगफिशर, किंगफिशर रेड, जेट और जेट लाइट से जुड़े विमान शामिल होंगे। इनमें से आठ विमान किंगफिशर-डेक्कन से होंगे, जबकि बाकी के विमान जेट-जेट लाइट से होंगे।’
किंगफिशर पहले ही एयरबस ए 380 के अपने पांच विमानों में से दो को नाइजीरिया की ऐरिक एयर को बेच चुकी है और ए 320 के 32 विमानों की आपूर्ति को रद्द कर चुकी है। फिलहाल किंगफिशर के बेड़े में 2 एटीआर और तीन हाल ही में आपूर्ति किए गए एयरबस ए 330 इस्तेमाल में नहीं आ रहे हैं।
सूत्रों का कहना है कि गठजोड़ के एक हिस्से के रूप में सह-ब्रांडिंग के विकल्प पर काम किया जा चुका है, जिसके तहत न सिर्फ विमान, बल्कि एयरपोर्ट के अन्य वाहनों पर भी किंगफिशर और जेट दोनों के लोगो देखने को मिलेंगे।उन्होंने कहा, ‘हमारे पास ऐसी बसें हैं जिन पर किंगफिशर-डेक्कन लिखा हुआ है, अब शायद ऐसी बसें होंगी, जिन पर किंगफिशर-जेट लिखा होगा।’
आज हैदराबाद में जेट प्रमुख नरेश गोयल और किंगफिशर प्रमुख विजय माल्या ने कहा कि गठजोड़ से उनके 1500 करोड़ रुपये बच जाएंगे और गठजोड़ के ये फायदे अगली तिमाही से दिखाई देंगे।