अमेरिका के नैस्डैक स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्घ होने वाली भारतीय स्टार्टअप कंपनी फ्रेशवर्क्स के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) को जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली है। इससे न केवल कंपनी का मूल्यांकन कई गुना बढ़ गया है बल्कि कंपनी के भारत में करीब 12 फीसदी से अधिक कर्मचारी भी रातोरात करोड़पति बन गए।
दिलचस्प है कि इनमें से 70 नए करोड़पति ऐसे हैं जिनकी उम्र 30 साल से कम है। कर्मचारियों ने आईपीओ में कंपनी द्वारा दिए गए ईसॉप्स की बिक्री कर अच्छा खासा मुनाफा कमाया है। इस बारे में फ्रेशवक्र्स के संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी गिरीश मातृभूतम ने कहा, ‘सही मायने में मेरा मकसद संपत्ति को उन लोगों के बीच साझा करने में यकीन रहा है, जिन्होंने यह संपत्ति सृजित की है। मैं केवल संस्थापकों को ही धनी होते नहीं देखना चाहता। मेरे भारत में 500 से ज्यादा कर्मचारी करोड़पति बन गए हैं। मेरा मानना है कि वे इसके काबिल हैं और उन्हें लाभ मिला है क्योंकि उन्होंने कंपनी के विकास में अपना योगदान दिया है।’
कंपनी के कुल कर्मचारियों की संख्या करीब 4,300 है और उनमें से 76 फीसदी ने पुरस्कार के रूप में मिले शेयरों को बनाए रखा है। उन्होंने कहा, ‘इस आईपीओ ने हमें उन कर्मचारियों के प्रति अपनी जिम्मेदारी को पूरी करने का अवसर दिया है जिन्होंने दस साल से भी अधिक समय से फ्रेशवक्र्स पर अपना भरोसा बनाए रखा। भारत में ऐसा अक्सर करने की जरूरत है। यह कई सारे कर्मचारियों के जीवन को बदलने वाला साबित होने जा रहा है।’ कंपनी ने ककेवल 6 सदस्यों के साथ 2010 में चेन्नई से अपना परिचालन शुरू किया था और 2015 में इसके कर्मचारियों की संख्या 500 थी।
फ्रेशवक्र्स नैस्डैक में सूचीबद्घ होने वाली भारत की पहली एसएएएस कंपनी है। गुरुवार को कंपनी का शेयर कारोबार के दौरान एक बार 47.76 डॉलर पर पहुंच गया था, जिससे इसका बाजार पूंजीकरण 13.6 अरब डॉलर हो गया था। बुधवार को कंपनी का शेयर 43.50 डॉलर पर खुला था जबकि इसका निर्गम मूल्य 36 डॉलर प्रति शेयर रखा गया था। कारोबार की समाप्ति पर यह 47.55 डॉलर प्रति शेयर पर बंद हुआ था।
मातृभूतम ने कहा कि वह भारत से वैश्विक स्तर पर जाने वाली अन्य कंपनियों को देखने के लिए उत्साहित हैं। आगामी स्टार्टअप को संदेश देते हुए उन्होंने कहा, ‘भारत में इसके क्या मायने हैं इसे लेकर मैं उत्साहित हूं। हमारे पास उद्यमियों की लंबी सूची है जो बेहतर कंपनियां तैयार कर सकते हैं। हम सभी का साझा सपना भारत को विनिर्माण्रा वाला देश बनाने की है।’ कंपनी के मुख्य वित्त अधिकारी टायलर स्लॉट ने कहा कि कंपनी आईपीओ के जरिये 1 अरब डॉलर जुटाने का लक्ष्य रखा था। फ्रेशवक्र्स के लिए अमेरिका और यूरोप दो बड़े बाजार हैं। मातृभूतम ने कहा, ‘हमारी अनूठी रणनीति ने हमें चेन्नई, बेंगलूरु और हैदराबाद में शीर्ष प्रतिभाओं को हासिल करने में मदद मिली। भारत के पास वैश्विक एसएमबी ग्राहकों की लंबी फेहरिस्त को सेवा प्रदान करने की क्षमता है।’
