देश में दैनिक उपयोग के सामान बनाने वाली वाली कंपनियों (एफएमसीजी) के उत्पादों की इस साल सितंबर तिमाही में खपत कम हुई है लेकिन एफएमसीजी उद्योग ने मूल्य के हिसाब से 12.6 फीसदी की वृद्धि दर्ज की है। बाजार के बारे में सूचना देने वाली कंपनी नीलसन की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि महानगरों में एफएमसीजी उत्पादों की खपत में तेजी रही जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में एफएमसीजी उत्पादों की खपत में कमी दर्ज की गई। इससे पहले वैश्विक महामारी की पहली लहर के प्रभाव से उबरने के बाद वृद्धि के संदर्भ में ग्रामीण क्षेत्र का प्रदर्शन शहरी क्षेत्रों से अच्छा था।
नीलसन आईक्यू की रिटेल इंटेलिजेंस टीम की रिपोर्ट के अनुसार, जिंस की कीमतों में तेजी जैसे वृहत आर्थिक कारकों ने तिमाही के दौरान एफएमसीजी की खपत में होने वाली वृद्धि को प्रभावित किया। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘कुमिलाकर भारतीय एफएमसीजी उद्योग ने सितंबर तिमाही में कीमत आधारित उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की। इसका मुख्य कारण जिंस, कच्चे माल और ईंधन के दाम में तेजी है। ईंधन के दाम बढऩे से परिवहन लागत में वृद्धि हुई है। इससे मूल्य के मोर्चे पर दो अंकों में वृद्धि हुई लेकिन खपत (मात्रात्मक) के मोर्चे पर वृद्धि में गिरावट दर्ज की गई।’
कीमत आधारित वृद्धि को मुख्य तौर पर खानेपीने की सामान बनाने वाली कंपनियों से रफ्तार मिली। इनका एफएमसीजी उद्योग में 59 योगदान है। रिपोर्ट में कहा गया है कि छोटी कंपनियां इस दौरान ज्यादा प्रभावित हुईं जबकि बड़ी कंपनियां बेहतर स्थिति में रहीं। सितंबर तिमाही में सालाना आधार पर एफएमसीजी क्षेत्र में कुल मूल्य वृद्धि में 76 फीसदी योगदान बड़ी कंपनियों का रह जबकि छोटी इकाइयों की हिस्सेदारी महज 2 फीसदी रही। शेष योगदान मझोले आकार की कंपनियों का रहा।
