उद्योग जगत के दिग्गजों और विशेषज्ञों का कहना है कि देश को अगले 10 साल में औपचारिक क्षेत्र में 10 करोड़ नौकरियों की जरूरत है, जिससे जनसांख्यिकीय लाभांश का फायदा मिल सके और व्यापार समझौतों पर प्रभावी तरीके से बाचतीत के माध्यम से उन देशों के साथ वैश्विक आपूर्ति शृंखला बनाई जा सके।
वैश्विक आर्थिक नीति सम्मेलन में आकाश एयरलाइंस के सह संस्थापक आदित्य घोष ने कहा, ‘हमें अगले दस साल में करीब 10 करोड़ नौकरियों के सृजन की जरूरत है, जिसका मतलब है कि गैर कृषि क्षेत्र को हर साल नौकरियों में 14 प्रतिशत की वृद्धि करनी होगी।’ अगर सेवा क्षेत्र की बात की जाए तो घोष ने कहा कि तृतीयक क्षेत्र वह क्षेत्र नहीं बनने जा रहा है, जहां 10 करोड़ नौकरियों में से ज्यादातर नौकरियों का सृजन होगा। उन्होंने सुझाव दिया, ‘विनिर्माण और औपचारिक क्षेत्र का विनिर्माण नौकरियों के सृजन के लिए ध्यान का मुख्य केंद्र होने जा रहा है।’
उन्होंने कहा कि 50 प्रतिशत औपचारिक वेतन भोगी वर्ग कोविड के दौरान स्वरोजगार वाला या अस्थाई मजदूर बन गया है। उन्हें औपचारिक क्षेत्र में वापस लाना बड़ी चुनौती है।
घोष ने कहा कि कोविड ने एक अजीब काम किया है कि इसने पूरी दुनिया में एक ही तरह से सबको प्रभावित किया, वहीं देशों ने दीवारें खड़ी करनी शुरू कर दी और बड़े पैमाने पर संरक्षणवाद शुरू हो गया है। इंडिगो के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, ‘हम अपने दम पर 10 करोड़ नौकरियों का सृजन नहीं कर सकते। चुनौती यह है कि हम अपनी प्रतिभा का इस्तेमाल विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों, उद्योगों, क्षेत्रों में निर्यात की वस्तु के रूप में कर सकें, जहां इनकी कमी है।’
उन्होंने कहा कि हकीकत यह है कि भारत को अगले 18 महीने में 40 से 50 लाख टेक्नोलॉजी और डिजिटल नौकरियो की कमी का सामना करना होगा और चुनौती यह है कि कौशल केंद्रित उद्योगों में संसाधनों की कमी के मसले का समाधान किस तरह से करें।
टाटा केमिकल्स के सीईओ और प्रबंध निदेशक आर मुकुंदन ने कहा, ‘ज्यादातर लोग नौकरियों की वृद्धि को हमारी व्यापार नीति से इतर देखते है, लेकिन यह एक दूसरे से जुड़े हैं।’
उन्होंने कहा कि भारत को वैश्विक आपूर्ति शृंखला से जुडऩे की जरूरत है, जिससे ज्यादा रोजगार का सृजन होगा। उन्होंने कहा, ‘हमें यह डर हमेशा बना रहता है कि अगर बाजार खुलता है तो भारतीय उद्योग पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगा। उदारीकरण के पिछले दौर में हमने इसका उल्टा देखा है। संभव है कि कुछ मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) का ढांचा सही तरीके से न तैयार हुआ हो, लेकिन हमें आक्रामक रूप से समझौतों की ओर बढऩा होगा। कारोबारी बातचीत करके हमें अपने सेवा प्रदाताओं को वैश्विक बाजारों में ले जाना होगा।’
एशियाई विकास बैंक में दक्षिण एशिया के क्षेत्रीय आर्थिक सलाहकार राणा हसन ने कहा कि संरक्षणवाद और ऑटोमेशन का मसला नौकरियों की राह में अवरोधक है, यह बढ़ा चढ़ाकर कही गई बात है।
उन्होंने कहा कि अगर भारत वैश्विक व्यापार में अपनी हिस्सेदारी मौजूदा 1.7 प्रतिशत से दोगुनी कर लेता है तो नौकरियों की मात्रा व गुणवत्ता में भारी विस्तार होगा, भले ही विश्व व्यापार में कमी आए। इसके अलावा जीरो वर्कर फैक्टरीज की बात अभी 10 से 15 साल दूर है। उन्होंने बेहतर प्रबंधित शहरों और औपचारिक उद्योगों के महत्त्व पर जोर दिया, जिससे नौकरियों का सृजन हो और वेतन में लैंगिक भेदभाव दूर हो सके।
द इंडियन होटल्स के प्रबंध निदेशक और सीईओ पुनीत चटवाल ने कहा कि न पर्यटन क्षेत्र में न सिर्फ नौकरियों के सृजन की अपार संभावना है, बल्कि वैश्विक स्तर पर स्थिति मजबूत करने की स्थिति है।
अपोलो हॉस्पिटल्स की चेयरमैन पृथा रेड्डी ने कहा कि भारत में बैजूज जैसी कंपनियों के साथ मिलकर रणनीतिक कौशल प्रशिक्षण की संभावनाएं तलाशने की जरूरत है, जिससे स्वास्थ्य क्षेत्र में रोजगार का सृजन हो सके।
