भारतीय ऑटो निर्माता घरेलू बाजारों में बिक्री में कमी आने से काफी परेशान हैं। इसी परेशानी को कुछ कम करने के लिए उन्होंने निर्यात का सहारा लेने की सोची है।
कोरिया की हुंडई मोटर और दोपहिया-तिपहिया वाहन बनाने वाली टीवीएस मोटर ने अपनी निर्यात रणनीति को बदलने का विचार बनाया है।
भारत की दूसरी सबसे बड़ी दोपहिया वाहन निर्माता बजाज ऑटो और देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजूकी भी स्थानीय बिक्री में गिरावट के बाद अब निर्यात पर भरोसा कर रही हैं।
हुंडई मोटर इंडिया (एचएमआईएल) के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (मार्केटिंग एवं बिक्री) अरविंद सक्सेना का कहना है, ‘शरुआत मंर हमारा लक्ष्य घरेलू बाजारों पर अधिक केंद्रित था, पर अब घरेलू बाजारों में गिरावट के कारण हमारा निर्यात हमारे कुल उत्पादन का लगभग आधा हिस्सा होगा।
पहले हमारी योजना 50 प्रतिशत घरेलू बाजारों में बेचने की थी, लेकिन अब हमें लगता है कि निर्यात हमारे कुल उत्पादन के आधे से भी अधिक होगा।’
एचएमआईएल के मौजूदा निर्यात में एक बड़ा हिस्सा आई10 मॉडल का है, जिसे एशिया, लैटिन अमेरिका और पश्चिम यूरोप को निर्यात किया जाता है।
इसके अलावा कंपनी ने कहा है कि वह अपने आई20 मॉडल (महंगा हैचबैक मॉडल) का भी 90 प्रतिशत उत्पादन निर्यात करेगी। कंपनी इस मॉडल की सालाना 15,000 कारें बनाएगी।
दिसंबर 31, 2008 को समाप्त हुए 9 महीने की अवधि के दौरान कंपनी का निर्यात 100 प्रतिशत बढ़कर 1,98,600 वाहन हो गया। वहीं समान अवधि में कंपनी की घरेलू बिक्री 1,77,095 वाहन रही। अप्रैल-दिसंबर, 2007 के दौरान कंपनी का निर्यात 99,035 वाहन था।
इसी तरह, टीवीएस मोटर की भी कुल बिक्री में निर्यात का योगदान साल के अंत तक बढ़कर 18 प्रतिशत हो गया, जबकि इससे पिछले साल की समान अवधि में यह आंकड़ा 12 से 13 प्रतिशत था।
वाहन निर्माताओं की शीर्ष संस्था सियाम की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर तक टीवीएस का मौजूदा निर्यात 13 प्रतिशत है।
इसके अलावा कंपनी निर्यात क्षेत्र में अपने उत्पादों की पेशकश को बढ़ाएगी। कंपनी विदेशों में अपने तिपहिया वाहन भी पेश करने वाली है। फिलहाल कंपनी सिर्फ दोपहिया वाहन, जिसमें स्कूटर और मोटरसाइकिलें निर्यात करती है।
टीवीएस मोटर के उअध्यक्ष (मार्केटिंग) एच एस गोइंडी का कहना है, ‘निर्यात से निश्चित तौर पर हमें अपने उत्पादन और घरेलू बाजारों में होने वाले नुकसान की भरपाई में में मदद मिलती है। अगले साल के खत्म होने तक निर्यात का हिस्सा हमारे कुल उत्पादन में 30 प्रतिशत तक हो जाएग, खासतौर पर इस साल में हमारे तिपहिया वाहनों के निर्यात की शुरुआत के बाद।’
सियाम की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार टीवीएस मोटर का निर्यात अप्रैल-दिसंबर के दौरान 48 प्रतिशत बढ़कर 1,46,397 वाहन हो गया, जबकि कंपनी की घरेलू बिक्री 2 प्रतिशत इजाफे के साथ 8,63,061 वाहन बढ़ी।
मुंबई के एक विशेषज्ञ का कहना है कि भारतीय रुपये की कीमत में कमी आने से ऑटोमोटिव कंपनियां अपने उत्पादों के लिए बेहतर कीमत वसूल करने के लायक हो गई हैं। बजाज ऑटो भी इस बात से खुश है कि विदेशों में उसकी बाइक की मांग काफी बढ़ रही है।
कंपनी का दिसंबर 2008 तक निर्यात 35 प्रतिशत बढ़कर 6,20,880 वाहन हो गया है। कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि घरेलू मांग में गिरावट के बावजूद निर्यात में रफ्तार जारी रहेगी।
अधिकारी क कहना है, ‘हम अपने उत्पादन का विदेशी मांग के साथ तालमेल बैठा पा रहे हैं क्योंकि घरेलू मांग में कमी आ चुकी है।’
पल्सर, प्लैटिना, डिस्कवर जैसी बाइक और माल ढुलाई में काम आने वाले तिपहिया वाहन बनाने वाली कंपनी मध्य अमेरिका, अफ्रीका और सुदूर पूर्वी देशों को वाहन निर्यात करती है।
इसी दौरान मारुति सुजुकी ने अपने ए-स्टार मॉडल को यूरोपीय बाजारों में निर्यात करना शुरू कर दिया है। इससे कंपनी का निर्यात प्रति माह 6,000 वाहनों से बढ़कर 14,000 वाहन हो गया है। हालांकि कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि कुछ महीनों में उत्पादन में तालमेल आ जाएगा।