लंबे समय में बेशक निजी और कारोबारी विमानों के उद्योग के आसमान से बादल छंटने लगे हों, लेकिन फिलहाल जो इस उद्योग में घटनाक्रम चल रहें हैं, उनके कारण निकट भविष्य में ऐसा होना मुश्किल लगता है।
लगभग एक साल पहले उत्तरी कर्नाटक खासतौर पर बेल्लारी क्षेत्र में कई लोगों और कंपनियों की निजी या कंपनी के इस्तेमाल के लिए 8 से 10 विमान खरीदने की योजना थी। उनमें से एक तो चार विमानखरीदने के इच्छुक थे। इस मामले से जुड़े और निजी विमानों की भारत में मार्केटिंग करने वाले एक व्यक्ति का कहना है, ‘विमानों पर लगने वाले शुक्ल में पारदर्शिता की कमी के चलते कई लोग डर गए और उन्होंने विमान आयात करने की योजना रद्द कर दी।’
न्होंने कहा, ‘कोई भी व्यक्ति इस बात से डरता है कि कानूनों के खिलाफ कोई काम हो जाने से उनका नाम उछल जाएगा इसलिए उसने जो विमान आपूर्ति के लिए ठेका दिया था, उसे रद्द कर दिया।’
एक साल या इससे कुछ समय पहले, विमानन क्षेत्र विकास कर रहा था और उसे आगे भी जबरदस्त विकास की उम्मीद थी।
लेकिन आम विमानन क्षेत्र, जिसमें कारोबारी विमान और निजी इस्तेमाल के लिए विमान शामिल हैं, निराशा में घिरा हुआ है। कुछ विशेषज्ञों के अनुसार अस्पष्ट नीतियों के कारण उद्योग जगत में ऐसा माहौल बना हुआ है। अगर निजी इस्तेमाल के लिए आयात किए गए विमान को किराए पर दिया जाता है तो उस पर भारी शुल्क लगाया जाता है।
भारत में कारोबारी विमान के एक आपूर्तिकर्ता का कहना है, ‘कुछ लोग जो विमान लेना चाहते हैं, वे इन पर लगने वाले शुल्क से नाखुश है और इसलिए वे विमान न लेने का फैसला लेते हैं।’उद्योग जगत के एक जानकारी का कहना है, ‘आम विमानन उद्योग से हवाई अड्डे के बुनियादी ढांचे को सहायता मिल सकती है। वे छोटे हवाई अड्डों का रख-रखव कर सकते हैं।’
अमेरिका के पास 1,30,00 निजी विमान और 10,000 कारोबारी विमान हैं। हैदराबाद में इन दिनों चल रही विमानन प्रदर्शनी में निजी विमानों और नागरिक विमानन उद्योग पर मुख्य ध्यान है। इस मौके पर एशिया प्रशांत विमानन केंद्र के सीईओ कपिल कॉल का कहना है कि इस प्रदर्शनी में काफी समय बाद विमानन उद्योग कैसा होगा, यह देखने को मिलता है।