चाहे आलू उत्पादक हों या सोयाबीन, चावल और गन्ना उगाने वाले किसान सभी की हालत इन दिनों दुर्दशाग्रस्त है।
इनकी दुर्दशा के कारण भले ही अलग-अलग हैं पर हालात एक जैसे हैं। आलू के किसान जहां घाटे से अब तक उबर नहीं पाए, वहीं सोयाबीन और चावल उत्पादकों को उनकी उम्मीद के मुताबिक उपज की कीमत नहीं मिल रही। गन्ना किसानों के दुर्दिन के कारण तो ‘पारंपरिक’ है।
हर साल की तरह इस साल भी उन्हें उनकी उपज का जल्द भुगतान मिलने की कोई उम्मीद नहीं है। किसानों की बुरी हालत का अंदाजा तो इसी बात से लगाया जा सकता है कि ये अपने बच्चों की शादी तक टाल रहे हैं।
आलू
आंध्र प्रदेश से लेकर दिल्ली की मंडी तक में आलू की बिक्री पिछले साल के मुकाबले करीब 30 फीसदी कम कीमत पर हो रही है।
उत्तर प्रदेश का हाल तो और भी बुरा है। यहां आलू की कीमत नवंबर के दूसरे सप्ताह में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 55 फीसदी तक कम हो गई। दिल्ली की मंडी में इन दिनों पंजाब और हिमाचल प्रदेश से नए आलू आ रहे हैं। इसके चलते, पुराने आलू की कीमत 3 से 5.50 रुपये प्रति किलोग्राम तक लुढ़क गई है।
आजादपुर मंडी में इन दिनों नए आलू की आवक 70 से 80 गाड़ी के बीच है तो पुराने आलू की महज 50 से 60 गाड़ी। कारोबारियों के मुताबिक नए आलू की आवक बढ़ने से इसकी कीमत में और कमी की संभावना है।
सोयाबीन
सोयाबीन उत्पादकों को भी उनकी उम्मीद के मुताबिक उपज की कीमत नहीं मिल रही है।
बीते मई-जून में खाद्य तेल की कीमतों के बढ़ने से सोयाबीन किसानों को उम्मीद थी कि इस बार उपज की अच्छी कीमत मिलेगी। लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में वनस्पति तेलों की कीमत में हुई जबरदस्त गिरावट और सोयाबीन के वैश्विक उत्पादन में हुई बढ़ोतरी से उनकी उम्मीदों पर फिलहाल पानी फिरता नजर आ रहा है।
अनुमान है कि इस साल विश्व में 23.8 करोड़ टन सोयाबीन का उत्पादन होगा। पिछले साल यह करीब 22 करोड़ टन रहा है। भारत में भी सोयाबीन उत्पादन में पिछले साल के मुकाबले 9.5 फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान है।
फिलहाल सोयाबीन की कीमत 1400 रुपये प्रति क्विंटल है। आवक में बढ़ोतरी से उम्मीद है कि इसमें और गिरावट होगी। पिछले साल इस वक्त सोयाबीन के भाव 1700 से 1800 रुपये प्रति क्विंटल थे।
चावल
किसानों के मुताबिक, पंजाब और हरियाणा की मंडियों में किसानों को साधारण किस्म के धान 850 से 950 रुपये प्रति क्विंटल में बेचना पड़ रहा है, जबकि उन्हें उम्मीद थी कि इसकी कीमत 1000 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक मिलेगी।
किसान नेता चौधरी युध्दबीर सिंह के मुताबिक, पिछले महीने हरियाणा में किसानों ने कम कीमत मिलने के विरोध में खूब प्रदर्शन भी किए, लेकिन उसका कोई लाभ नहीं मिला।
गन्ना
गन्ने के तय मूल्य को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार और चीनी मिल मालिकों के बीच चल रही रस्साकशी के चलते किसानों को इस साल भी गन्ने के भुगतान में देरी के आसार हैं।
इस बार प्रदेश सरकार ने गन्ने की एसएपी 140-145 रुपये प्रति क्विंटल तय की है, जिसे मिल मालिकों ने कोर्ट में चुनौती दी है। पिछले साल की तरह इस साल भी गन्ना किसानों को कोर्ट से मामला तय होने के बाद ही भुगतान मिलने की उम्मीद है।
गाजियाबाद जिले के किसान राजबीर सिंह कहते हैं कि अभी शादी-ब्याह का मौसम है और कई किसानों ने गन्ने की उम्मीद पर अपने बेटे-बेटियों की शादी तय कर दी थी। लेकिन भुगतान के अभाव में उन्हें कर्ज लेना पड़ रहा है। कइयों ने तो शादी को अगले मौसम तक के लिए टाल दिया है।