भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने अब तक हरियाणा में बड़े पैमाने पर गेहूं की खरीद कर ली है, जबकि उत्पादन बढ़ने से इसके भंडारण को लेकर आशंकाएं बढ़ गई हैं।
पिछले साल सितंबर में इस केंद्रीय एजेंसी के भंडार में 25.77 लाख टन का भंडार जमा था, जो सितंबर 2008 में बढ़कर 44.74 लाख टन तक पहुंच गया है। उम्मीद जताई जा रही है कि यदि उत्पादन में खासी वृद्धि हो गई तो इसके भंडारण को लेकर दिक्कतें पैदा हो जाएंगी।
सूत्रों के मुताबिक, पिछले दो साल में राज्य में गेहूं की आपूर्ति में लगातार वृद्धि हुई है। इसकी वजह गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य में हुई बढ़ोतरी और राज्य सरकार द्वारा उत्पादकता बढ़ाने के किए गए प्रयास हैं।
जानकारों के मुताबिक, यदि यह स्थिति आगे भी बनी रही तो तय है कि गेहूं कि आपूर्ति की समस्या टल जाएगी। वैसे भी मध्य प्रदेश और गुजरात का केंद्रीय पूल में हिस्सेदारी बढ़ी है। भारतीय खाद्य निगम के पंचकुला स्थित क्षेत्रीय कार्यालय के मुताबिक, सितंबर 2008 तक हरियाणा की बंद भंडारण क्षमता करीब 25.18 लाख टन जबकि खुली भंडारण क्षमता करीब 19.55 लाख टन की थी।
इस तरह राज्य की कुल भंडारण क्षमता करीब 44.73 लाख टन की रही। इसमें से भारतीय खाद्य निगम की भंडारण क्षमता 16.65 लाख टन और राज्य की एजेंसियों की 28.08 लाख टन की है। ऐसे में एफसीआई केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार के उस संकेत से चिंतित है जिसके मुताबिक, गेहूं की एमएसपी में संशोधन हो सकते हैं। इसके अलावा, राज्य सरकार के गेहूं की उत्पादकता बढ़ाने के प्रयास से भी एफसीआई चिंतित है।
उल्लेखनीय है कि 2007-08 में गेहूं की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता 41.58 क्विंटल थी जो 2008-09 में 42.60 क्विंटल पर पहुंचने के आसार हैं। एफसीआई की आशंका है कि ऐसे में बाजार में गेहूं की अधिकता हो जाएगी। क्षेत्रीय कार्यालय पंचकूला ने तय किया है कि भंडारण क्षमता में करीब 4 लाख टन की वृद्धि की जाएगी पर इसमें थोड़ी देर हो सकती है।
हालांकि अभी तक भंडारण के लिए किसी निजी संस्था को आमंत्रित किए जाने की कोई उम्मीद नहीं है। मालूम हो कि धान के भंडारण के लिए गुजरात की निजी कंपनी अदानी समूह को ठेका दिया गया था।
हरियाणा के एक शीर्ष अधिकारी के मुताबिक, सरकारी एजेंसियां किसानों से एमएसपी पर खरीदारी करने से इनकार नहीं कर सकतीं। गेहूं की खरीद के लिए पहले ही विभिन्न कंपनियों को विभिन्न मंडियों की जिम्मेदारी दे दी गई है।