गेहूं उत्पादन में दुनिया में दूसरे नंबर पर आने वाले भारत में इस साल गेहूं का उत्पादन 7.5 करोड़ टन से भी अधिक हो सकता है।
उधर पंजाब और हरियाणा से आनेवाली खबरों के मुताबिक इन दोनों ही राज्यों को मौसम की बेरुखी से उत्पादन में 3 से 5 फीसदी तक का नुकसान हो सकता है।कृषि मंत्री शरद पवार ने मंगलवार को राजधानी में बताया कि अभी कुछ ही दिनों पहले देश के कई हिस्सों में हुई बारिश के बावजूद इसके कुल उत्पादन पर खासा फर्क नहीं पड़ने वाला।
अभी कल ही कृषि सचिव पी.के.मिश्रा ने भी कहा था कि इस त्रासदी से कुल उत्पादन अनुमान में कोई परिवर्तन नहीं होगा। पवार के मुताबिक, विशेषज्ञ इस बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि से हुए नुकसान का आकलन कर रहे हैं। पंजाब कृषि विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि पहले सरकार का आकलन था कि राज्य में इस साल गेहूं की उत्पादकता 43 से 44 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रहेगी।
इस बारिश के बाद सरकार का आकलन है कि उत्पादकता दर पिछले साल की ही तरह 42 क्विंटल प्रति हेक्टेयर ही रहेगा। पर सरकार को लगता है कि उत्पादन का मौजूदा 1.45 करोड़ टन का आंकड़ा पा लिया जाएगा। उधर हरियाणा की भी स्थिति कुछ ऐसी ही है।
संशोधित आकलन के अनुसार, हरियाणा में गेहूं की उत्पादकता इस वर्ष 42.50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की बजाय 40.65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रहेगा। बदी हुई परिस्थितियों में अब उसने अपना उत्पादन लक्ष्य 102 लाख टन की बजाय 100.5 लाख टन रख रही है।
राज्य के एक कृषि अधिकारी की मानें तो मौसम के बिगड़ने से फसल को बहुत तगड़ा नुकसान पहुंचा है। सबसे ज्यादा नुकसान पंजाब के फिरोजपुर, मंसा, जालंधर और अमृतसर जिले और हरियाणा के जिंद, हिसार, रोहतक, फतेहाबाद और सिरसा जिले को पहुंचा है।