गेहूं की बंपर खरीद पर अपनी पीठ थपथपाने वाली 5उत्तर प्रदेश की सरकार का लाखों टन अनाज अब खुले मैदान में सड़ रहा है।
खुले आसमान के नीचे पड़ा गेहूं ज्यादातर राज्य सरकार की खरीद एजेंसियों का है जबकि भारतीय खाद्य निगम अपने हिस्से का अनाज सुरक्षित गोदामों में पहुंचा चुका है। गेहूं को सड़ता देख परेशान सरकार अब हरकत में आई है और अधिकारियों को इसके सुरक्षित भंडारण के लिए तीन दिन का समय दिया है।
मायावती सरकार ने सभी जिलों के अधिकारियों को आदेश जारी कर कहा है कि जैसे भी हो गेहूं के भंडारण की व्यवस्था की जाए। सरकार ने कहा है कि बोरों की किल्लत को देखते हुए अगर जिला अधिकारी चाहें तो किसी भी गोदाम का अधिग्हण कर सकते हैं या हवाई पट्टियों पर भंडारण का इंतजाम कर सकते हैं। फिलहाल करीब 9 लाख टन गेहूं खुले आसमान के नीचे पड़ा बारिश की मार झेल रहा है।
मानसून की आमद समय से
पहले होने के चलते सरकारी एजेंसियों के हाथ पांव फूल गए हैं। आसमान के नीचे अकेले लखनऊ में 12000 टन गेहूं प्ादेशिक कोऑपरेटिव फेडरेशन (पीसीएफ) के गोदाम के बाहर रखा गया है, जिसे बारिश की मार से बचाने के लिए पॉलीथीन से ढक दिया गया है। सबसे ज्यादा 29000 हजार टन गेहूं बरेली में खुले आसमान के नीचे पड़ा है जो कि काफी मात्रा में सड़ भी गया है।
गौरतलब है कि इस साल उत्तर प्देश में गेहूं की बंपर खरीद हुई है। पिछले साल जहां 30 जून तक तक जहां मात्र चार लाख टन गेहूं की खरीद हुई थी, वहीं इस साल अब तक सरकार 28.65 लाख टन गेहूं खरीद चुकी है। इसमें 16 लाख टन गेहूं अकेले प्देश सरकार की एजेंसियों का है। उत्तर प्देश में कुल 25 लाख टन अनाज के भंडारण की क्षमता है और इन गोदामों में पहले से 12 लाख टन चावल मौजूद है।
सरकार का मानना है कि 30 जून तक गेहूं की खरीद का आंकड़ा 30 लाख टन पार कर जाएगा, जिसे गोदामों में रखना एक बड़ी चुनौती होगा। गेहूं के साथ-साथ चावल की भी खरीद सरकारी स्तर पर चल रही है। अलग-अलग सरकारी एजेंसियां हर रोज 20 से 30000 टन चावल की भी खरीद कर रही हैं। अगर सरकारी अधिकारियों की मानें तो 30 जून तक प्देश की भंडारण क्षमता 25 लाख टन से कम से कम 8 लाख टन अधिक अनाज की आवक होगी, जिसे रखना एक बड़ी चुनौती होगा। राज्य सरकार ने प्देश की 14 हवाई पट्टियों पर अनाज के भंडारण का फैसला कर लिया है।