पिछले हफ्ते बेमौसम बरसात क्या हुई, तरबूज के कारोबारी और किसानों के माथे पर बल ही पड़ गये हैं।
एक ओर जहां तरबूज की अच्छी खासी तैयार फसल खेतों में ही बरबाद हो गयी, वहीं मौसम में आई ठंडक से बाजार में तरबूज की मांग भी काफी कम हो गयी है। इस बेमौसम बरसात ने तो इसके कारोबार को दोतरफा नुकसान पहुंचाया है।
कारोबारियों की मानें तो इस बारिश ने तरबूज की आपूर्ति और मांग की पूरी चेन ही गड़बड़ कर दी है। सामान्यत: आपूर्ति घटने से कीमत बढ़ती है पर यहां यह स्थिति कुछ और है। आजादपुर मंडी के फल बाजार में इसकेकारोबार से जुड़े रामगोपाल के मुताबिक, तरबूज की खपत के साथ मौसम का फैक्टर जुड़ा होता है। यदि मौसम गर्म न हो तो तरबूज की खपत एकदम से गिर जाती है।
जाहिर है, ऐसी हालत में कीमत तो कम होगी ही। देश की सबसे बड़ी थोक मंडी आजादपुर का हाल यह रहा कि 7 और 8 अप्रैल को मात्र 6 क्विंटल तरबूज की ही आवक हुई। जबकि इस मंडी में फिलहाल रोज औसतन 1480 क्विंटल तरबूज पहुंच रहा है। यदि अभी बारिश न हुई होती तो तरबूज का भाव 1500 से 2000 रुपये प्रति क्विंटल हो गया होता। इस समय बारिश और ओले की वजह से तरबूज मार्केट में एक क्विंटल तरबूज की कीमत केवल 600 से 1000 रुपये है।
आजादपुर मंडी को नियंत्रित करनेवाली संस्था कृषि उत्पाद और विपणन समिति (एपीएमसी) भी इसकी पुष्टि करती है। समिति केअनुसार, बुधवार को तरबूज का मानक भाव 750 रुपये प्रति क्विंटल रहा। हालांकि इसका न्यूनतम मूल्य 450 रुपये जबकि अधिकतम 1400 रुपये प्रति क्विंटल रहा। वैसे इस आढ़ती की मानें तो पीक सीजन में यहां 2000 से 3000 टन तरबूज की आवक होती है।
एक अन्य कारोबारी अब्दुल रशीद मंडी कहते हैं कि अभी राजस्थान के टोंक, दौसा, भावस, चाकसू, तेजाड़ा और जयपुर से, उत्तरप्रदेश के मुजफ्फरनगर और हरियाणा के सोनीपत, करनाल और यमुनानगर से आवक हो रही है। जबकि अभी इसकी आपूर्ति दिल्ली और पंजाब को की जा रही है।
गर्मी बढ़ने पर जब इसकी फसल पूरे देश में तैयार हो जाएगी तब इसका उठान दिल्ली केआसपास ही सीमित हो जाएगा। वैसे जुलाई से मार्च तक के ऑफ सीजन में कर्नाटक और महाराष्ट्र ही लोगों को तरबूज मयस्सर कराते हैं। कारोबारियों की मानें तो इस साल तरबूज की आवक और आपूर्ति पिछले साल जैसा ही रहने वाला है और इसकी कीमत भी मौसम के मन मिजाज पर निर्भर करेगी।