सरकार ने हाल में इस्पात उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले अहम कच्चे माल पर आयात शुल्क घटाया है और निर्यात शुल्क लगाया है, जिससे वाहन एवं टिकाऊ उपभोक्ता कंपनियों को राहत मिली है। इस कदम से अगले कुछ महीनों में इस्पात के दाम कम होने की उम्मीद है। मगर विश्लेषकों का कहना है कि इससे छोटी कार जैसी उन श्रेणियों में मांग बढऩे की संभावना नहीं है, जो लगातार कीमत बढऩे के कारण खरीदारों की पहुंच से बाहर हो रही हैं।
इस्पात, तांबा, एल्युमीनियम, प्लास्टिक जैसी जिंसों की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी दिखने से वर्ष 2021 की शुरुआत से वाहन, फ्रिज, वॉशिंग मशीन, एयर कंडीशनर (एसी) और अन्य टिकाऊ उपभोक्ता उत्पादों की कीमतों कई बार बढ़ोतरी हो चुकी हैं। उद्योग सूत्रों के मुताबिक कॉम्पैक्ट कार (शुरुआती स्तर एवं प्रीमियम) की औसत ऑन-रोड कीमतें वित्त वर्ष 2020 के मुकाबले मार्च, 2022 में 13 फीसदी बढ़ चुकी हैं।
वाहन विनिर्माताओं के लिए शुद्ध बिक्री में 75 फीसदी हिस्सा जिंसों की कीमतों का होता है। कार बाजार की अगुआ मारुति सुजूकी इंडिया के कार्यकारी निदेेशक शशांक श्रीवास्तव ने कहा, ‘वाहन विनिर्माताओं के लिए इस्पात प्रमुख कच्चा माल है, इसलिए इस्पात की कीमतों का घटना उद्योग के लिए सकारात्मक रहेगा।’
इस्पात की कीमतों में बदलाव का असर एक तिमाही बाद दिखता है क्योंकि अगली तिमाही के लिए सौदे पिछली अवधि की हाजिर कीमतों के आधार पर किए जाते हैं। श्रीवास्तव ने कहा कि निर्यात शुल्क बढऩे से देसी बाजार में इस्पात की हाजिर कीमतें कम होने की संभावना है। मगर उन्होंने कहा कि कमी आने के बाद भी इस्पात के भाव डेढ़ साल पहले के मुकाबले काफी अधिक रहेंगे। ऐसे में लागत के मोर्चे पर स्थिति चुनौतीपूर्ण रहेगी।
क्रिसिल रिसर्च में निदेशक हेमल एन ठक्कर ने कहा कि आयात शुल्क में कटौती से वाहन कंपनियों को कुछ राहत मिलेगी, लेकिन दोपहिया और छोटी कार जैसी श्रेणियों में सुधार आने की उम्मीद नहीं है। उन्होंने कहा, ‘बार-बार कीमतें बढऩे से इन श्रेणियों में खरीदारों की क्षमता प्रभावित हुई है। हाल में नीतिगत दरों में बढ़ोतरी से कर्ज महंगा हुआ है, जो नई रुकावट है।’ उन्होंने कहा कि आमदनी नहीं बढ़ी और मॉनसून अच्छा नहीं रहा तो सुधार आना मुश्किल है। आयशर मोटर्स के प्रबंध निदेशक और सीईओ विनोद अग्रवाल ने कहा, ‘यह सकारात्मक कदम है और महंगाई पर काबू में मदद करेगा। ऊंची कीमतें किसी के भी हित में नहीं थीं।’ विश्लेषकों ने कहा कि शुल्क ढांचे में बदलाव के बाद शनिवार को सरकार द्वारा किए गए बदलावों से घरेलू इस्पात उद्योग की लागत घटेगी। इससे इस्पात के दाम 5 से 10 फीसदी नरम होंगे। इन बदलावों में इस्पात उद्योग द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले कोकिंग कोल और फेरोनिकल समेत कुछ कच्चे माल के आयात पर सीमा शुल्क माफ करना शामिल है। इस कदम से घरेलू उद्योग की लागत कम होगी और कीमतों में नरमी आएगी।
