त्योहारी सीजन और मानसून के आखिरी चरण में आई बाढ़ के बाद उत्तर प्रदेश भर में सब्जियों के दाम फलों से भी ज्यादा हो गए हैं।
प्रदेश के सब्जी उत्पादन के लिए मशहूर इलाकों में सितंबर के आखिरी सप्ताह में आई बाढ़ का पानी अभी भी गांवों में भरा है, जिसके चलते शहरों में माल की आवक करीब-करीब बंद है।
बीते 15 दिनों से लखनऊ सहित प्रदेश के ज्यादातर बड़े शहरों में गांवों से सब्जी का आना बंद है। इसके चलते हरी सब्जियों की कीमतों ने लखनऊ में बीते पांच सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। राजधानी लखनऊ की फुटकर सब्जी मंडी में टमाटर की कीमत 40 रुपये किलो चल रही है जबकि सेब की कीमत 35 से 40 रुपये प्रति किलो है।
बंपर पैदावार के बावजूद आलू खुदरा बाजार में 8 से 10 रुपये प्रति किलो के भाव मिल रहा है जबकि केला 10 से 12 रुपये प्रति दर्जन के भाव मिल रहा है। थोक सब्जी विक्रेताओं के मुताबिक आलू की कीमतों में उछाल नवरात्रि के सीजन के चलते है।
लखनऊ फल एवं सब्जी विक्रेता संघ के पदाधिकारी उस्मान अहमद के मुताबिक आने वाले एक महीनों में पहाड़ी आलू की आवक शुरु होने के कीमत फिर से 5 से 7 रुपये किलो के भाव पर स्थिर हो जाएगी। बाहर से आने वाली सब्जियां जैसे टमाटर, प्याज, शिमला मिर्च और नींबू ढुलाई और कम पैदावार के साथ मांग बढ़ने के चलते मंहगी हो गयी हैं।
इस समय लखनऊ में सामान्य दिनों में 4-5 रुपये किलो बिकने वाली लौकी 20 रुपये किलो के भाव पर मिल रही है जबकि तरोई और कद्दू 18 से 20 रुपये प्रति किलो की कीमत पर मिल रहे हैं। साधारण दिनों में 6 से 8 रुपये किलो के भाव मिलने वाला बैंगन भी इस समय 20 रुपये किलो के भाव मिल रहा है। खुदरा बाजारों में हरी मिर्च 50 रुपये किलो और नींबू 60 रुपये किलो के भाव मिल रहा है जो कि बीते पांच सालों का रिकॉर्ड है।
त्योहार और बाढ़ ने बढ़ाए भाव
टमाटर 40 रुपये प्रति किलो तो सेब 35 से 40 रुपये प्रति किलो
आलू 8 से 10 रुपये प्रति किलो तो केला 10 से 12 रुपये दर्जन
5 रुपये से छलांग मारकर लौकी पहुंची 20 रुपये प्रति किलो पर
6 रुपये में मिलने वाला बैंगन भी 20 रुपये प्रति किलो हुआ
हरी मिर्च 50 रुपये तो नींबू ने 60 रुपये प्रति किलो पर पहुंच कर रिकॉर्ड तोड़ा