लंबे इंतजार के बाद उत्तराखंड सरकार ने गन्ने का राज्य समर्थित मूल्य (एसएपी) घोषित कर दिया है।
सोमवार को राज्य विधानसभा मे गन्ना मंत्री मदन कौशिक ने इस संबंध में घोषणा की। उनके मुताबिक, 2008-09 सीजन के लिए बेहतरीन गुणवत्ता की कीमत जहां 148 रुपये प्रति क्विंटल तय की गई है, वहीं मामूली किस्म के गन्ने की एसएपी 143 रुपये रखी गई है।
सूत्रों के मुताबिक, किसानों के लिए यह घोषणा काफी महत्वपूर्ण है। कौशिक ने बताया कि उत्तराखंड में गन्ने की एसएपी पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश से 3 रुपये अधिक रखी गई है। मालूम हो कि पिछले साल बेहतरीन किस्म के गन्ने का भाव 132 रुपये था तो औसत किस्म के गन्ने के लिए 127 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया था।
कौशिक ने बताया कि राज्य सरकार ने 2006-07 सीजन का किसानों का सारा बकाया चुकता कर दिया है और 2007-08 सीजन के लिए 56 करोड़ रुपये के बकाए में से अब तक 42 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया है।
कौशिक ने यह भी बताया कि राज्य सरकार बाकी बचे बकाए के भुगतान के लिए निजी मिलों पर लगातार दबाव बनाए हुए है।
अधिकारियों के मुताबिक, पिछले साल राज्य में गन्ने का उत्पादन जहां 7.85 करोड टन रहा था, वहीं अनुमान है कि इस बार उत्पादन घटकर 6.30 करोड़ क्विंटल रह जाएगा। इसी तरह गन्ने का रकबा भी 20 फीसदी घटा है। उम्मीद है कि 2008-09 के दौरान रकबा घटकर 1.07 लाख हेक्टेयर रह जाएगा।
किसानों के लिए राज्य सरकार की इस घोषणा का खासा महत्व है। राज्य के कई इलाकों में किसानों ने गन्ने की एसएपी घोषित करने और बकाया चुकता करने के लिए हथियार तक उठा लिए थे। विशेषकर हरिद्वार जिले में जहां इसे लेकर आंदोलन जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई थी।
किसान इस बात को लेकर भी काफी नाराज थे कि कई निजी चीनी मिलों ने लंबे समय से उनके बकाए का भुगतान नहीं किया था। गन्ना आयुक्त कार्यालय का अनुमान है कि अभी भी इन मिलों के पास किसानों का 26 करोड़ रुपये बाकी है।