चीनी व खाद्य तेलों को लेकर सोमवार को वायदा कारोबार की दुनिया में अटकलों का बाजार गर्म रहा।
वित्त मंत्री चिदंबरम के इस बयान के बाद कि कुछ और कृषि जिंसों के वायदा कारोबार पर रोक लगायी जा सकती है, सोमवार को चीनी व खाद्य तेलों के वायदा कारोबारी थोड़े चिंतित जरूर नजर आए।
एनसीडीईएक्स के एक पदाधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि पिछले एक सप्ताह से एनसीडीईएक्स के कारोबार में कमी दर्ज की गयी है। फिलहाल यहां का रोजाना कारोबार गिरावट के साथ 2000-2250 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया है।
दूसरी ओर वायदा कारोबार से जुड़ी अभिजीत सेन समिति के एक सदस्य ने बताया कि फिलहाल सरकार कुछ भी कर सकती है। उन्होंने भी इस बात के संकेत दिए कि सरकार कुछ और कृषि जिंसों के कारोबार को बंद कर सकती है। उनके मुताबिक सरकार पर लगातार इस बात का दबाव बनाया जा रहा है कि मूल्य नियंत्रण के लिए वायदा कारोबार पर रोक जरूरी है। इस दबाव में सरकार कुछ कृषि जिंसों के वायदा पर रोक लगा सकती है।
चावल, गेहूं, उड़द व टूर के वायदा पर पहले से ही प्रतिबंध है। सरकार के निशाने पर अब चीनी व खाद्य तेल है। दिल्ली स्थित एनसीडीईएक्स के एक पदाधिकारी ने कहा कि वित्त मंत्री ने एक संभावना व्यक्त की है। उनके मुताबिक वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने यह नहीं कहा है कि चीनी व खाद्य तेलों का वायदा कारोबार बंद कर दिया जाएगा। उनके मुताबिक सरकार को वायदा कारोबार से कोई परेशानी नहीं है और वायदा कारोबार जारी रहेगा।
वायदा कारोबार के बंद होने से विश्व के विभिन्न देशों के बीच हुए मुक्त व्यापार समझौते का काई मतलब नहीं रह जाएगा। उनका कहना है कि वित्त मंत्री के बयान को गलत तरीके से पेश करके लिखा गया है। मुंबई से एक अन्य पदाधिकारी ने बताया कि वित्त मंत्री के बयान की चर्चा जरूर है, लेकिन इससे कारोबार पर कोई फर्क नहीं पड़ा है। उन्होंने कहा कि पिछले साल के मुकाबले इस साल चीनी की कीमत कम है।
ऐसे में चीनी कहां से कीमत बढ़ाने में अपना योगदान दे रही है। तेल की कीमत भी पिछले एक महीने से काफी नरम है। गौरतलब है कि गत 28 अप्रैल को सेन कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। सेन कमेटी का गठन पिछले साल बजट के तुरंत बाद किया गया था। ताकि इस बात का तहकीकात की जा सके कि वायदा कारोबार से कीमत पर क्या फर्क पड़ रहा है।