तेल और दलहन की ज्यादा कीमतों की मार झेल रहने परिवारों का जायका टमाटर ने और बिगाड़ दिया है। पिछले कुछ महीने से खाद्य तेल और दलहन के दाम में तेजी है और अब टमाटर के दाम आसमान पर हैं।
उपभोक्ता मामलों के विभाग के आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में टमाटर का खुदरा भाव 1 अक्टूबर और 25 नवंबर के बीच 79 प्रतिशत बढ़ा है और यह 43 रुपये किलो से 77 रुपये किलो पर पहुंच गया है। वहीं मुंबई में इसकी कीमत इस दौरान 63 प्रतिशत बढ़कर 30 रुपये से 49 रुपये किलो पहुंच चुकी है।
बेंगलूरु में टमाटर और खर्चीला हो गया है, जहां कीमतों में 389 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है और 18 रुपये किलो बिकने वाला टमाटर 88 रुपये किलो बिक रहा है। पटना में टमाटर के दाम करीब 100 प्रतिशत बढ़े हैं और इस अवधि के दौरान यह 30 रुपये किलो से 60 रुपये किलो पर पहुंच गया है।
देश के दक्षिणी और पूर्वी इलाकों में टमाटर के भाव में ज्यादा तेजी आई है।
टमाटर में तेजी की बड़ी वजह मॉनसून की देरी से वापसी और उसके बाद भारी बारिश है। बारिश की वजह से आंध्र प्रदेश व कर्नाटक में बड़े पैमाने पर टमाटर की फसल बर्बाद हुई है और आपूर्ति कम होने की वजह से कीमतों में बढ़ोतरी हुई है।
भारत के दक्षिणी प्रायद्वीप में दबाव अभी भी बना हुआ है और आंध्र प्रदेश व कर्नाटक के कुछ इलाकों में इसकी वजह से बारिश हो रही है। कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में सबसे ज्यादा उत्पादन होता है, ऐसे में बारिश की वजह से फसल खराब होने से मुख्य उत्पादक जिलों में आपूर्ति बाधित हुई है।
महाराष्ट्र व मध्य प्रदेश के बीच, जो टमाटर का बड़ा उत्पादक इलाका है, यहां भी पिछले कुछ सप्ताह में बारिश के कारण फसल खराब हुई है। हालांकि तुलनात्मक रूप से देखें तो इन दो राज्यों में फसलों की स्थिति अच्छी है।
रिपोर्टों के मुताबिक अनन्य राज्यों में पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में टमाचर की रबी की फसल में अक्टूबर महीने में बारिश की वजह से देरी हुई है और नवंबर के अंत तक ही नई फसल आने की संभावना है।
इन सभी वजहों से टमाटर की कीमत में पिछले कुछ सप्ताह में तेजी आई है, जो रबी की फसल आने के बाद दिसंबर की शुरुआत या मध्य तक के पहले कम होने वाली नहीं है।
सूत्रों ने कहा कि नवंबर के मध्य तक टमाटर के दाम में कमी की संभावना थी, लेकिन आईएमडी ने दक्षिण प्रायदीपीय इलाकों में अभी और बारिश का अनुमान लगाया है, जिसकी वजह से दाम कम होने की संभावना नहीं है।
दूसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक भारत का टमाटर उत्पादन 2019-20 के दौरान 205.7 करोड़ टन था, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 10.17 प्रतिशत ज्यादा है।
अक्टूबर की शुरुआत में सरकार की ओर से लगाए गए शुरुआती अनुमान के मुताबिक टमाटर की बुआई करीब 2,47,000 हेक्टेयर रकबे में इस खरीफ सत्र में हुई है। इसमें से करीब 4,000 हेक्टेयर (2 प्रतिशत से कम) फसल बारिश से बर्बाद हुई है। पिछले साल खरीफ सत्र में 2,50,000 हेक्टेयर रकबे में टमाटर बोया गया था।
बहरहाल फसल की स्थिति और मौसम दोनों में ही नाटकीय बदलाव आया है, ऐसे में फसल पर असर पड़ेगा। क्रिसिल ने एक नोट में कहा है कि अगले 2 महीने तक टमाटर की कीमतें बढ़ी रह सकती हैं। क्रिसिल ने नोट में कहा है, ‘भारत में सब्जियों के कुल उत्पादन में टमाटर का हिस्सा 10 प्रतिशत है। भारी बारिश के कारण कर्नाटक (सामान्य से 105 प्रतिशत ज्यादा), आंध्र प्रदेश (सामान्य से 40 प्रतिशत ज्यादा) और महाराष्ट्र (सामानन्य से 22 प्रतिशत ज्यादा) में खड़ी फसल खराब हो गई। ये अक्टूबर-दिसंबर में टमाटर आपूर्ति करने वाले प्रमुख राज्य हैं। इसकी वजह से आपूर्ति गिर गई है।’
टमाटर का सीपीआई अधिभार 0.57 प्रतिशत है और कीमत 100 प्रतिशत बढऩे पर सूचकांक मेंं करीब 0.57 प्रतिशत बढ़ोतरी होगी। केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि टमाटर का अधिभार 0.57 प्रतिशत रहने के कारण यह अहम है। उन्होंने कहा, ‘प्याज की तरह टमाटर का आयात नहीं किया जा सकता है, ऐसे में हमें एक महीने तक इंतजार करना होगा, जिससे अलग अलग इलाके से स्टॉक आने पर कीमतें कम हो सकें।’
इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि एक बार जब सब्जियों की कीमत में बढ़ोतरी शुरू होती है, कुछ महीने तक स्थितियां कष्टप्रद बनी रहेंगी। उन्होंने कहा, ‘मौजूदा परिदृश्य में सब्जियों के दाम अधिक होने का संयुक्त असर होगा क्योंकि जिंसों व ढुलाई की लागत बढ़ी हुई है।’
दिसंबर से घटने शुरू होंगे टमाटर के दाम
केंद्र सरकार ने शुक्रवार को कहा कि उत्तर भारत के राज्यों से नई फसल आनी शुरू होगी तो दिसंबर से टमाटर की कीमतें घटने लगेंगी। कृषि मंत्रालय ने एक बयान में कहा है, ‘टमाटर बहुत उतार-चढ़ाव वाली फसल है।आपूर्ति बाधित होने या भारी बारिश के कारण फसल खराब होने के कारण टमाटर के भाव बढ़ते हैं। वहीं इसके विपरीत ज्यादा आवक से दाम घट जाते हैं।’
इसमें कहा गया है कि कृषि विभाग के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में टमाटर का अनुमानित उत्पादन 69.5 लाख टन रहने की संभावना है, जबकि पिछले साल 70.1 लाख टन उत्पादन हुआ था। इस साल नवंबर महीने में आवक सिर्फ 19.6 लाख टन रही, जबकि पिछले साल 21.3 लाख टन आवक थी।
बहरहाल प्याज की फसल के बारेमें सरकार ने कहा कि अक्टूबर 2021 में कीमतों में तेजी अब धीरे धीरे कम हो रही है। 25 नवंबर को देश भर में प्याज की औसत कीमत 39 रुपये किलो थी, जो पिछले साल की तुलना में 32 प्रतिशत कम है। बीएस संवाददाता
