केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को इस पर खेद जताया कि सरकार किसानों के समूह को तीनों कृषि कानूनों के फायदे समझाने में नाकाम रही। हालांकि उन्होंने इन कानूनों को वापस लेने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा का स्वागत किया।
तोमर ने एक वीडियो संदेश में कहा, मुझे दुख है कि हम किसानों को इन कानूनों के फायदे समझाने में नाकाम रहे। उन्होंने कहा कि सरकार नए कृषि कानूनों के जरिये उन अवरोधों को दूर करना चाहते थे जिसका सामना कृषक समुदाय कर रहा है। उन्होंने कहा, इन कानूनों से निश्चित तौर पर किसानों को फायदा मिलता। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री का इरादा इन कानूनों के जरिये किसानों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाने का था।
उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री ने इन कानूनों के जरिए कृषि क्षेत्र में बदलाव लाने की कोशिश हमेशा की। लेकिन ऐसी स्थिति बन गई कि किसानों को इन कानूनों में समस्याएं यानी खामियां नजर आई। सरकार ने तार्किक रूप से इस पर चर्चा करने के लिए बातचीत का रास्ता अपनाया। मंत्री ने कहा, हमने उन्हें समझाने की कोशिश की, लेकिन कामयाब नहीं हो पाए।
यह कहते हुए कि मोदी सरकार पिछले सात सालों में कृषि व किसानों के कल्पाण के लिए प्रतिबद्ध रहे हैं, तोमर ने साल 2014 के बाद से पेश विभिन्न योजनाओं व कार्यक्रमों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, उदाहरण के लिए सरकार ने उत्पादन लागत का कम से कम 1.5 गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने का फैसला लिया और खरीद दोगुनी हो गई है। साथ ही सरकार ने पीएम-किसान योजना पेश की है, जिसके तहत अभी तक किसानों को 1.62 लाख करोड़ रुपये वितरित किए गए हैं। पिछले सात वर्षों में फसलों के लिए कर्ज दोगुना हो गया है, वहीं किसान क्रेडिट कार्ड का कवरेज बढ़ा है। उन्होंने कहा, करीब 1 लाख करोड़ रुपये का इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड भी स्थापित किया गया है।
