गुजरात में कपास किसानों के बाद अब तंबाकू के किसान इस साल बेहतर मुनाफा कमाने वाले हैं।
गुटखा और बीड़ी निर्माताओं की ओर से मांग में इजाफा होने की वजह से तंबाकू के किसान ज्यादा कीमतें वसूलने की कोशिश में हैं। इस बार उत्पादन में भी कमी होने के आसार हैं।
मसलन देसी (पाउडर) तंबाकू की कीमत प्रति 20 किलोग्राम 1,300 रुपये से 2,000 रुपये है, हालांकि यह गुणवत्ता और भुगतान की अवधि पर निर्भर करता है। पिछले साल मध्य गुजरात जो राज्य में तंबाकू उत्पादन का मुख्य केंद्र माना जाता है वहां समान किस्म के तंबाकू की कीमतें लगभग 1,200 रुपये से 1,400 रुपये प्रति 20 किलोग्राम है।
नाडियाड के एक बड़े तंबाकू के कारोबारी विजय पटेल का कहना है, ‘फरवरी महीने की शुरुआत में ही तंबाकू सीजन की शुरुआत हो गई। जब पहली बार निविदा खोली गई उस वक्त 300 रुपये से लेकर 400 रुपये प्रति 20 किलोग्राम ज्यादा कीमतें थीं। औसतन सभी तरह के तंबाकू की कीमतों में 500 रुपये से 700 रुपये प्रति 20 किलोग्राम पर तेजी आई।’
गुजरात टोबैको मर्चेंट एसोसिएशन (जीटीएमए) के उपाध्यक्ष बिपिन पटेल का कहना है, ‘गुजरात के अलावा यह चलन दूसरे तंबाकू उत्पादक राज्यों मसलन महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में भी समान है। इन राज्यों में औसतन कीमतों में तेजी 500 रुपये प्रति 20 किलोग्राम देखा गया।’
बाजार के खिलाड़ियों के मुताबिक मध्य गुजरात के कलकट्टी (भुक्को) की कीमत बढ़कर 800 रुपये से 1,200 रुपये प्रति 20 किलोग्राम है जो पिछले साल 600 रुपये से 800 रुपये प्रति 20 किलोग्राम था। उत्तरी गुजरात में गुणवत्ता के लिहाज से कालकट्टी (पाउडर) की कीमतें बढ़कर 600 रुपये से 1,300 रुपये प्रति 20 किलोग्राम हो चुकी है।
वर्ष 2007-08 में इसकी कीमतें 450 रुपये से बढ़कर 650 रुपये प्रति 20 किलोग्र्राम हो चुकी हैं। दूसरी किस्मों मसलन देसी रेड छोपाडियू और काले छोपाडियू की कीमतें 300 रुपये-400 रुपये प्रति 20 किलोग्राम ज्यादा है। यह किस्में जुलाई महीने के बाद बाजार में आएंगी।
बाजार के कारोबारियों का कहना है कि पैदावार कम होगी और तंबाकू का भंडार कम होने की वजह से कीमतों में तेजी आएगी। उन्झा ट्रेडर एसोसिएशन के तंबाकू विभाग के उन्झा विभाग तंबाकू मंडल के अध्यक्ष भारत पटेल का कहना है, ‘गुजरात में तंबाकू के रकबे में बढ़ोतरी होने के बावजूद खराब मौसम की परिस्थितियों के वजह से पैदावार में कमी आ गई।’
उनका कहना है, ‘पिछले साल राज्य के तंबाकू उत्पादन में कमी आई थी और नए सीजन के लिए कोई भी स्टॉक बाकी नहीं था। भंडार में कमी और कम पैदावार की खबरों से भी स्थानीय बाजार में जिंस की कीमतों में तेजी आई।’
फिलहाल बाजार में बीड़ी और गुटखा निर्माताओं की ओर से मांग देखी जा रही है। कुछ ने तो किसानों से सीधे तौर पर तंबाकू खरीदना शुरू कर दिया है। इसके अतिरिक्त कई छोटे समय के लिए कारोबार करने वाले कारोबारी भी इस दौड़ में शामिल हो रहे हैं क्योंकि इस बार तंबाकू की कीमत पिछले साल के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुकी है।
