इस साल भी सेब का उत्पादन बढ़ने का अनुमान है। लेकिन इसकी महंगाई से खास राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। क्योंकि बीते एक साल में सेब की लागत काफी बढ़ गई है। जिससे दाम घटने की संभावना नहीं है। हिमाचल प्रदेश से नये सेब की आवक शुरू हो चुकी है। अगले महीने यह जोर पकड़ने लगेगी। सितंबर महीने से कश्मीर से भी सेब की नई फसल आने लगेगी। सरकार के दूसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक वर्ष 2021—22 में 24.37 लाख टन सेब का उत्पादन हो सकता है। जो वर्ष 2020—21 के सेब उत्पादन 22.76 लाख टन से करीब 7 फीसदी ज्यादा है।
हिमाचल के सेब किसान व प्रोग्रेसिव ग्रोवर्स एसोसिएशन के महासचिव कुनाल चौहान ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि अब तक मौसम को देखते हुए इस साल हिमाचल में सेब का उत्पादन 10 फीसदी बढ़ सकता है। अभी हो रही बारिश से सेब का आकार सुधर रहा है। राज्य सरकार ने इस साल 3.5 करोड़ पेटी (22 से 24 किलो) सेब उत्पादन का अनुमान लगाया है। भारतीय सेब उत्पादक संघ के अध्यक्ष रविंद्र चौहान कहते हैं कि अप्रैल—मई में मॉनसून से पहले होने वाली बारिश न होने और गर्मी ज्यादा पडने से सेब की गुणवत्ता पर बुरा असर पड़ा था। लेकिन अब हो रही बारिश से इसकी गुणवत्ता बेहतर हुई है और आकार भी बढ़ रहा है। ऐसे में उत्पादन बढ़ने की संभावना है। संघ के महासचिव व कश्मीर के सेब किसान अब्दुल अहद रथर ने बताया कि कश्मीर के सेब उत्पादक क्षेत्रों में भी इस समय हो रही बारिश सेब के लिए फायदेमंद है। इस साल सेब की पैदावार कम से कम 10 फीसदी बढ़ सकती है।
उत्पादन बढ़ने के बावजूद सेब की महंगाई से खास राहत मिलने की उम्मीद कम है। इस समय सेब किसानों को अच्छी गुणवत्ता के सेब के दाम 1,500 से 2,500 रुपये पेटी मिल रहे हैं। कमजोर गुणवत्ता का सेब 600 से 1,200 रुपये पेटी बिक रहा है। इस समय सेब के दाम पिछले साल की समान अवधि के बराबर ही हैं। दिल्ली की आजादपुर मंडी में सेब 40 से 150 रुपये किलो बिक रहा है। पिछले साल भी इन दिनों यही भाव थे। आवक बढ़ने पर अगले महीने सेब के दाम मौजूदा भाव से गिर सकते हैं। उत्पादन बढ़ने के बावजूद दाम कम न होने के सवाल पर कुनाल चौहान ने कहा कि सेब की उत्पादन लागत 10 से 12 फीसदी बढ़ गई है। खाद से लेकर गत्ता, टे व पेटी के दाम बढ़ चुके हैं। ऐसे में दाम घटने पर सेब किसानों को नुकसान होगा। सरकार को लागत घटाने के लिए सेब किसानों की आर्थिक मदद करनी चाहिए। रविंद्र कहते हैं कि 8 से 10 रुपये किलो सेब की लागत बढी है। उत्पादन तो थोडा—बहुत ही बढ़ने की संभावना है। ऐसे में इस साल सेब के दाम पिछले साल जितने ही रहने चाहिए।