भारत में कच्चे तेल के आयात का बिल इस महीने पिछले साल हुए आयाात बिल से पार पहुंचने वाला है। कच्चे तेल के वैश्विक दाम बढ़ रहे हैं और मांग भी बढ़ी है।
इस सेक्टर पर नजर रखने वालों के मुताबिक तेल आयात बिल कम से कम 3 साल के उच्च स्तर पर पहुंचने की राह पर है, क्योंकि अक्टूबर 2021 में इस साल का औसत मूल्य 70 डॉलर के पार पहुंच गया है, जिस भाव पर तेल शोधक संयंत्र कच्चा माल खरीदते हैं। अक्टूबर 2021 में कच्चे तेल के भारतीय बॉस्केट की औसत कीमत 82.11 डॉलर प्रति बैरल रही है, जो पिछले 5 साल की उच्चतम कीमत है।
अमेरिकी रणनीतिक भंडार के इस्तेमाल के जो बाइडन प्रशासन के फैसले के बाद कच्चे तेल की कीमत घटकर 78.89 डॉलर प्रति बैरल हुई थी, लेकिन अगले दिन ही कीमत 82 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गई। इन स्थितियों में भारत के कच्चे तेल के आयात का बिल 2021-22 के दौरान पिछले वित्त वर्ष की तुलना में आसानी से दोगुना हो सकता है।
वाणिज्यिक खुफिया व सांख्यिकी महानिदेशालय से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक सितंबर तक इराक भारत में कच्चे तेल का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बना हुआ था और यह धारणा अभी जारी रहने की संभावना है।
अप्रैल से अक्टूबर, 2021 के बीच भारत ने 11.85 करोड़ टन कच्चे तेल का आयात किया है, जिससे खजाने पर 61.1 अरब डॉलर बोझ पड़ा। इसकी तुलना में अप्रैल से अक्टूबर 2020 के दौरान सिर्फ 26.9 अरब डॉलर का 10.46 करोड़ टन कच्चे तेल का आयात हुआ था। 2020-21 में पूरे साल के दौरान आयात बिल 62.2 अरब डॉलर रहा है और यह आंकड़ा इस महीने पार हो जाने की संभावना है।
कॉर्पोरेट रेटिंग एजेंसी इक्रा के उपाध्यक्ष प्रशांत वशिष्ट ने कहा, ‘इसके पहले के वर्षों में सालाना तेल आयात बिल 110 अरब डॉलर के करीब रहने की धारणा उलट रही है। यह बदलाव उम्मीद के मुताबिक ही हो रहा है और 2020-21 के पूरे साल के आयात बिल का आंकड़ा आराम से नवंबर 2021 में ही पार होने वाला है।’
इसकी वजह यह है कि कच्चे तेल के इंडियन बॉस्केट की औसत कीमत वित्त वर्ष 2021-22 के पहले सात महीने में 71.56 डॉलर प्रति बैरल रही है, जो 2020-21 की समान अवधि के 37.24 डॉलर प्रति बैरल की तुलना में बहुत ज्यादा है। पिछले 3 वित्तीय वर्षों की तुलना में रुपया भी कमजोर है और अक्टूबर 2021 तक इसकी औसत कीमत 74.05 रुपये प्रति डॉलर रही है।
