अनुमान से कम पैदावार की खबरों के बावजूद पिछले हफ्ते चने में नरमी का रुख रहा।
कमोडिटी विशेषज्ञ और बाजार के जानकारों के मुताबिक कुछ और समय तक चने में नरमी का रुख जारी रहने के आसार हैं।पिछले हफ्ते चने का मार्च कॉन्ट्रैक्ट 2800 रुपये प्रति क्विंटल से नीचे फिसल आया था, हालांकि बाद में यह गुरुवार को 2830 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ।ऐसे में कुल मिलाकर इसमें एक हफ्ते पहले के मुकाबले 51 रुपये की गिरावट दर्ज की गई।
एंजेल कमोडिटी के विशेषज्ञ के मुताबिक, चने में नरमी जारी रहेगी क्योंकि वर्तमान भाव पर खरीदार इसे लेने में कतरा रहे हैं। उधर, कारोबारियों का अनुमान है कि कम पैदावार के अनुमान के चलते कभी भी इसमें तेजी आ सकती है।
मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से इसकी आवक जोर पकड़ने लगी है और यह क्रमश: 70 हजार बैग और एक लाख बैग (प्रति बैग एक क्विंटल) तक पहुंच गया है। एनसीडीईएक्स में अप्रैल डिलिवरी 2830 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ जबकि इससे पहले के सप्ताह में 2881 रुपये प्रति क्विंटल पर था।
मकई वायदा पर बर्ड फ्लू का असर
एक पखवाड़े पहले तक 900 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास रहने वाले मकई पर बर्ड फ्लू की मार पड़ गई है और यह 779 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गिरा है। पोल्ट्री फार्म इंडस्ट्री में करीब 65 फीसदी मक्के की खपत होती है और बंगाल में बर्ड फ्लू फैलने के बाद मक्का बाजार में अफरातफरी मच गई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि शॉर्ट टर्म में भले ही मक्के में नरमी देखी जाएगी, पर आने वाले दिनों में इस कमोडिटी में तेजी निश्चित रूप से आएगी क्योंकि इस साल निर्यात में तेजी आने के आसार हैं। एक हफ्ते में बिहार व आंध्र से मक्के की आवक शुरू हो जाएगी, बावजूद इसके नरमी का रुख जल्द समाप्त होने केआसार नहीं हैं।