घरेलू अलौह कंपनियों के तांबे के डिविजन से होने वाले लाभ में इन दिनों कमी आई है।
माना जा रहा है कि विश्व स्तर पर तांबे की आपूर्ति में आई कमी के कारण उनके स्पॉट ट्रीटमेंट व रिफाइनिंग चार्ज (टीसीआरसी) में कमी आई है। टीसीआरसी इन धातु गलाने वाली कंपनियों के लाभ के मार्जिन को दर्शाती है। यह वह दर है जिसके हिसाब से कोई खदान कंपनी जमे हुए तांबे को गलाने के लिए धातु गलाने वाली कंपनियों को चुकता करती है। विश्व स्तर पर वर्ष 2008 में 4 लाख टन तांबे में कमी का अनुमान है।
वर्ष 2007 में यह कमी 2 लाख टन के आसपास रही। यानी कि इस साल तांबे में आने वाली कमी गत साल के मुकाबले दोगुनी होगी। इस कारण से इन कंपनियों की टीसीआरसी प्रति पाउंड 11-12 सेंट्स रहने की उम्मीद है। जबकि मार्च 2007 के दौरान धातु गलाने वाली इन कंपनियों की टीसीआरसी प्रति पाउंड 20-22 सेंट्स थी। इस प्रकार की घरेलू कंपनियों के मामले में टीसीआरसी से उनके तांबे डिविजन की कुल कमाई का 25 फीसदी हिस्सा प्राप्त होता है।
घरेलू कंपनियां विदेशी खदान कंपनियों से जमे हुए तांबे का आयात करती है और फिर उन्हें गलाने का काम करती है। इधर स्टरलाइज इंडस्ट्रीज के अधिकारियों का कहना है कि तांबे की आपूर्ति के मामले में आपूर्तिकर्ता के साथ उनका लंबे समय तक के लिए अनुबंध है।