दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक महत्त्वपूर्ण आदेश में मीशो को ‘जाने-माने चिह्न’ के रूप में मान्यता देते हुए नकली वेबसाइटों को पंजीकृत करके धोखाधड़ी की गतिविधियों में शामिल गलत काम करने वालों को रोकने के लिए निर्देश जारी किए हैं। सॉफ्टबैंक समर्थित मीशो ने कहा कि अदालत ने डोमेन नाम का पंजीकरण करने वालों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि उनकी सेवाओं का उपयोग करते हुए जाने-माने चिह्न ‘मीशो’ वाली कोई अन्य फर्जी वेबसाइट पंजीकृत न हों।
फैशनियर टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड (मीशो) द्वारा दायर एक मुकदमे में यह आदेश जारी किया गया था, जिसमें उन धूर्त वेबसाइटों पर स्थायी रोक की मांग की गई थी, जो आम जनता के सीधे-सादे लोगों को धोखा देने और ठगने के लिए मीशो के ट्रेडमार्क और/या कॉपीराइट का उपयोग कर रही थीं।
मीशो ने कहा कि यह ‘जॉन डो’ ऑर्डर ऑनलाइन धोखाधड़ी रोकने और ग्राहकों के हितों तथा सुरक्षा को और अधिक सुरक्षित करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। जॉन डो ऑर्डर या ‘अशोक कुमार आदेश’ अज्ञात या अनाम अपराधियों के खिलाफ एक पक्षीय निषेधाज्ञा होती और इसका इसका प्रयोग सृजनकर्ता के बौद्धिक संपदा अधिकारों की रक्षा के लिए किया जाता है।
आदेश में कहा गया है कि मीशो द्वारा पहचानी गई उल्लंघन करने वाली वेबसाइटों को 48 घंटे के भीतर सभी संबंधित डोमेन नेम रजिस्ट्रार (डीएनआर) द्वारा अवरुद्ध/निलंबित किया जाए।
